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________________ ८. विनय विजय एवं लक्ष्मी वल्लभ आदि जैन विद्वानों ने भगवान् महावीर प्रोक्त व्याकरण को जैनेन्द्र व्याकरण कहा है। दाक्षिणात्य संस्करण में 'चार्थे द्वन्द्वः'- सूत्र के बाद १२ सूत्रों का एक शेष प्रकरण है जो औदीच्य संस्करण में नहीं है । चन्द्राचार्य ने इस संबंध में युक्ति दी है कि अशिष्य एकशेष एकेनोक्तत्वात् अर्थाभिधानं स्वाभाविकम् --- अर्थात् शब्द की अर्थाभिधान शक्ति के स्वभाविक होने से एक शब्द से भी अनेक अर्थों की प्रतीति हो जाती है, अतः एक शेष प्रकरण अनावश्यक है। ९. को विनिन्देदिमां भाषां भारती मुख भाषिताम् । यस्याः प्रचेतसः पुत्रो व्याकर्ता भगवान् ऋषिः ॥१३॥ गार्ग्य गालव शाकल्य पाणिन्याचा यथर्षयः । शब्द राशेः संस्कृत व्याकर्तारो महात्तमाः ॥१४॥ तथैव प्राकृतादीनां षड्भाषानां महामुनिः । आदिकाव्यक्रद आचार्यो व्याकर्ता लोकविश्रतः ॥१५॥ यथैव रामचरितं संस्कृतं तेन निमितम् । तथैव प्राकृतेनापि निर्मितं हि सतां मुदे ॥१६॥ पाणिन्याद्यैः शिक्षितत्वात् संस्कृता स्याद् यथोत्तमा । प्राचेतस व्याकृतत्वात् प्रकृत्यापि तथोत्तमा ।।१९।। प्राकृतं चार्मे वेदं यद्धि वाल्मीकि शिक्षितम् । तदानार्ष भवेद् यो वै प्राकृतः स्यात् स एवहि ॥२४॥ -सन् १८९० में छपे तेलगूग्रंथ शम्भू रहस्य से १०. अहं ह्य तितनुश्चैव वान रश्च विशेषतः । वाचं चोदाहरिष्यामि मानुषीमिह संस्कृताम् ।। यदि वाचं प्रदास्यामि द्विजातिरिव संस्कृताम् । रावणं मन्य माना मां सीता भीता भविष्यति । अवश्यमेव वक्तव्यं मानुषं वाक्यमर्थवत् । मया सान्त्वयितुं शक्या नान्यथेयमनिन्दिता । X नूनं व्याकरणं कृत्स्नम नेन बहुधाश्रुतम् । बहु व्याहस्तानेन न किंचिदपभाषितम् ।। ११. (i) 'कातंत्र' के एक वाक्य--'कात्यायनेन ते सृष्टा विबुद्धि प्रतिबुद्धये'- की व्याख्या में हरिराम लिखते हैं--'कात्यायन मुनिर्वररूचि शरीरं परिगृह्य शास्त्रमिदं कृतवात् इति श्रुतिः।" (ii) दी प्राकृत ग्रामेरिनस् (नीति डोलची) के मोतीलाल बनारसीदास संस्करण, १९७२ (प्रभाकर झा) में इस विषयक विवेचन है। देखें-पैरा २२१० से २२१५ और २४१५ मृ० ५-१६. तुलसी प्रशा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524587
Book TitleTulsi Prajna 1996 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size8 MB
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