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________________ स्थितियों का उन्मूलन जिनके कारण व्यापक चिन्ता व विद्वेष फैलते हैं। ० बच्चे का समाजीकरण-पूर्वाग्रहों में न पालें। ४. राजनैतिक • सह-अस्तित्व को प्रमुखता ० सम्बन्धों का पुनर्व्यवस्थापन • संधियां एवं सहयोग प्रो० गाल्देन ने संघर्ष निराकरण हेतु निम्न प्रस्ताव दिए हैंलक्ष्य व संघर्ष १. संघर्ष में कार्य करो • कार्य अभी करो • कार्य यहीं करो • अपने समूह के लिए कार्य करो • बिना पहचान के कार्य करो • परम्परा से हटकर कार्य करो। २. संघर्ष को अच्छी तरह परिभाषित करें-- ० अपने स्वयं के लक्ष्यों को स्पष्ट करें ० प्रतिपक्षी के लक्ष्यों को समझने का प्रयत्न करें • सामान्य और विरोधी लक्ष्यों पर जोर दें ० संघर्ष से सम्बन्धित वस्तुनिष्ठ तथ्यों को स्पष्ट करें। ३. संघर्ष के लिए विछोयात्मक दृष्टि रखें ० संघर्ष के विछोयात्मक पक्ष पर बल दें • संघर्ष को प्रतिपक्ष से मिलने के अवसर के रूप में देखें ० संघर्ष को समाज रूपान्तरण के अवसर के रूप में देखें • संघर्ष को स्वयं के रूपान्तरण के अवसर के रूप में देखें। संघर्ष १. संघर्ष में अहिंसक रूप से कार्य करें • अपने कार्यों से चोट व नुकसान न पहुंचायें • अपने शब्दों से चोट व नुकसान न पहुंचायें • अपने विचारों से चोट व नुकसान न पहुंचायें ० प्रतिपक्षी की सम्पत्ति का नुकसान न करें ० कायरता की अपेक्षा हिंसा को प्राथमिकता दें ० बुरे व्यक्ति के लिए भी अच्छा करें। २. लक्ष्यों के अनुरूप कार्य करें ० सृजनात्मक तत्त्वों का समावेश करें • घुले रूप से कार्य करें, गुप्त रूप से नहीं ० संघर्ष के सही बिन्दु पर ध्यान केन्द्रित करें । ।२९,अंक २ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524584
Book TitleTulsi Prajna 1995 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1995
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
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