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३. दुराई का सहयोग न करें० दोषयुक्त संरचना से असहयोग ० बुरे कार्यों से असहयोग
० बुराई का सहयोग करने वालों से असहयोग ४. आत्म वलिदान का भाव रखें
० दण्ड से न बचें
• यदि आवश्यक हुआ तो मरने के लिए भी तैयार रहें । ५. एक ही दिशा में न सोचें
० प्रतिद्वन्द्विता और प्रतिद्वन्द्वी में भेद करें ० व्यक्ति और उसके स्तर में भेद करें ० सम्पर्क बनाए रखें
• विरोधी के स्तर का सम्मान करें। संघर्ष निराकरण १. संघर्ष का समाधान करें
० संघर्ष को सदैव के लिए न रखें। • प्रतिद्वंद्वी के साथ वार्ता के अवसर ढूंढे । ० विधं यात्मक सामाजिक-रूपान्तरण के अवसर खोजें
• मानवीय रूपान्तरण के अवसर खोजें २. मूलभूत तत्त्वों पर जोर दें
० मूलभूत तत्त्वों से व्यापार न करें
० सहायता तत्त्वों के प्रति समझौते की इच्छा रखें । ३. स्वयं के प्रति भी शंका करें
• आप भी गलत हो सकते हैं
• अपनी गलतियों को हृदय से स्वीकार करें। ४. प्रतिद्वंद्वी के प्रति अपने विचारों को उदार रखें
० प्रतिद्वंद्वी की कमजोरियों का फायदा न उठायें ० प्रतिद्वंद्वी को स्वयं से ज्यादा कठोर न मानें
० प्रतिद्वन्द्वी का विश्वास करें। ५. रूपान्तरण करें न कि बल प्रयोग
• स्वयं तथा प्रतिद्वन्द्वी को स्वीकृत समाधान ही खोजें ० प्रतिद्वंद्वी को न दबायें ० प्रतिद्वंद्वी को कारण में विश्वास करने वाले के रूप में बदल ।
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मुसलो प्रज्ञा
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