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४. हड़ताल
श्रम समस्याओं के निराकरण हेतु गांधी ने हड़ताल को सत्याग्रह की एक पद्धति के रूप में विकसित किया । गांधी न्यायपूर्ण शिकायतों को दूर करने के लिए शांतिपूर्ण अहिंसा हड़तालों के विरोधी नहीं थे, पर ऐसी कोई हड़ताल के पक्षधर नहीं थे, जो तोड़-फोड़ पर आधारित तथा औचित्य की दृष्टि से समर्थनीय न हो। ५. असहयोग ____गांधी के अनुसार--"असहगोग तत्त्वतः शोधन प्रक्रिया है। यह लक्ष्यों से कहीं अधिक कारणों का उपचार करता है । यह हमारे सामाजिक संबंधों को विशुद्ध आधार पर अधिष्ठित करने का आंदोलन है ताकि उनकी मीमांसा हमारे आत्म सम्मान एवं गौरव के अनुकूल की जा सके। यह अपने अन्तिम विश्लेषण में कुछ सुविधा दे सकने वाली बुराई से सम्बन्ध विच्छेद करने के कारण उत्पन्न कष्टों का स्वेच्छया वरण है।" गांधी ने न्याय प्राप्ति हेतु इस विधि का १९२०-२२ व १९३०-३४ में सर्वाधिक सहारा लिया। ६. सविनय अवज्ञा
__ "जब कानून बनाने वाले की गलती सुधारने की चेष्टाएं अर्जी आदि देने के बाद भी विफल हो जाती हैं तब यदि आप उस गलती के सामने सिर झुकाने के लिए तैयार नहीं हैं तो आपके सामने दो ही मार्ग हैं-या तो आप भौतिक शक्ति से उसे अपनी बात मानने पर विवश कर दें या उस कानून को तोड़ने का दण्ड झेलकर व्यक्तिगत रूप से कष्ट वरण करें।" इस अवज्ञा को सविनय इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह सापराध भावना से नहीं होती है। १९२०-२२, १९३०-३४ व १९४२-४७ में गांधी ने इस विधि का प्रयोग स्वरान प्राप्ति के लिए किया था। ७. आत्मशुद्धि
आत्मशुद्धि में नैतिक शक्ति है जो विरोधी के हृदय पर सीधा प्रथम प्रभाव डालती है तथा उसे अपनी गलतियों का अहसास कराती है। आत्मशुदि असहयोग प्रविधि को जड़ है। गांधी ने कहा था-"मैं इस आधारभूत निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि यदि तुम कोई सचमुच महत्त्वपूर्ण कार्य करना चाहते हो तो तुम्हें न केवल विवेक को सन्तुष्ट करना होगा बल्कि हृदय को भी प्रेरित करना होगा। बुद्धि का आवेदन मस्तिष्क के प्रति अधिक होता है किन्तु हृदय तक प्रवेश तपश्चर्या के द्वारा ही सम्भव । है। इससे मनुष्य की आंतरिक सहानुभूति उद्भूत होती है, इसलिए यह अधिक स्थायी
है। आत्मशुद्धि का अर्थ है-न्याय एवं सत्य की चेतना एवं असत् से स्वयं को अलग करने की शक्ति का संग्रह । यदि इसे उपलब्ध किया जा सके तो सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक सम्बन्ध स्वतः ही परिवर्तित हो जायेंगे। ___उपर्युक्त विधियों के अलावा भी कलह शमन हेतु कुछ और गांधीवादी तरीके हैं, जैसे-हिजरात, करों का भुगतान न करना, समानान्तर सरकार आदि । कटनीतिक विधियां_ संघर्ष निराकरण की कुछ अन्य कूटनीतिक विधियां भी हैं । जैसे
खण्ड २१, अंक २
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