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________________ राजनैतिक या व्यापारिक सम्बन्ध तोड़ना सतही कार्य है, मूलतः गांधी मानवीय एकता में विश्वास करते हैं तथा उनका विश्वास हृदय परिवर्तन में है। २. एकता सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक स्तर पर जो रुकावटें हैं, वे मनुष्य-मनुष्य के बीच भेद रेखाएं बनाती हैं । चूंकि आध्यात्मिक स्तर पर हम एक हैं, इसलिए अहिंसा की शक्ति से ये भेद रेखाएं दूर की जा सकती हैं। ३. समझौता सत्याग्रह के आधार पर यदि हम जीत भी जाएं एवं हमारी बातें मान ली जाएं, फिर भी हमें समझौते के लिए तत्पर रहना चाहिए। इससे संघर्ष निराकरण के पश्चात् भी हमारे सम्बन्ध मधुर रहेंगे। गांधी के अनुसार ऐसा समझौता मूल्यों व मूलभूत तत्त्वों की कीमत पर नहीं होना चाहिए । ४. विरोधों का निराकरण जिस संघर्ष के निराकरण की बात होती है, निश्चित ही उस संघर्ष की जड़ें गहरी नहीं होती । संघर्ष की वास्तविक जड़ें तो समाज-संरचना में छिपी होती है, इन्हें खत्म करने के लिए आर्थिक, सामाजिक तथा राजनैतिक ढांचे को ही बदलना पड़ता है। यह बदलाव धीरे-धोरे आता है तथा इसे अहिंसा साधनों से लाया जा सकता है। गांधीवादी विधियां१. प्रदर्शन अन्याय एवं सरकार के गलत कार्यों के विरुद्ध शिक्षित लोगों को संगठित करने का एक अच्छा साधन है प्रदर्शन, जिसका सत्याग्रह में अपना एक विशिष्ट स्थान है। गांधी ने इसका प्रयोग १९०८ में दक्षिणी अफ्रीका में रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट एक्ट को जलाने के लिए, जलियांवाला बाग के विरोध में, दाण्डी यात्रा के रूप में, १९३२ में द्वितीय अहिंसक असहयोग मांदोलन में तथा १९४२ में क्विट इण्डिया मूवमेंट के समय किया था। २. पिकेटिंग पिकेटिंग का उद्देश्य सरकार पर सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक दबाव डालना है तथा लोगों के बीच राजनैतिक चेतना और स्वदेशी चेतना जागृत करना है । गांधी ने इसका प्रयोग १९०७ में दक्षिणी अफ्रीका में तथा १९२०-२२ व १९३०-३४ के अहिंसा असहयोग आंदोलन में किया। ३. बहिष्कार गांधी ने अफ्रीका में ऑफिस तथा रजिस्ट्रेशन प्रमाण-पत्रों का बहिष्कार किया तथा भारत में १९०५ व १९३० में विदेशी सामान, विदेशी सुविधाओं व विदेशी संस्थाओं का बहिष्कार किया। . १९६ 'तुलसी प्रज्ञा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524584
Book TitleTulsi Prajna 1995 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1995
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
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