________________
१८. मैं देख रहा हूं, फिर भी अरूप बना हुआ हूं-इसका नाम है--ज्ञाता-द्रष्टा
भाव ।।१ १९. किसी का न होना ही धर्म का होना है। २०. आध्यात्मिक व्यक्ति सत्य का अन्वेषी होता है ।" २१. विसर्जन तो अपनी चीज का ही किया जाता है ।२४ २२. गुरु हो और भिन्न हो तो मानना चाहिए कि गुरु नहीं है । गुरु अभिन्न ही
होगा, आत्मा से भिन्न नहीं होगा ।२५ २३. कृपा व्यक्ति के निर्माण की निश्चित गारन्टी नहीं है किंतु पुरुषार्थ व्यक्ति
निर्माण में निश्चित ही मुख्य कारण बनता है । २४. पुरुषार्थ भाग्य का नियामक है, भाग्य पुरुषार्थ का नियामक नहीं है --इस
सचाई को समझकर चलने वाला अपना भाग्य विधाता बन जाता है।" २५. समता का मूल्य प्रियता से भी ज्यादा होता है ।
२६. गाय दूध देती है तो उसकी चोट भी सह ली जाती है । [ख[ समाज-विज्ञान से संबद्ध
१. अपरिचित से अपरिचित होने में प्रारंभिक कठिनाई होती ही है । २. प्रीति के बिना भय नहीं होता। ३. जो केवल डरता है वह ढीठ बन जाता है डर के पीछे भी एक बंधन-सूत्र __होता है और वह है-प्रीति ।" ४. सहयोग वह होता है जो सब कुछ मनचाहा भी न करे और सब कुछ
अनचाहा भी न करे, दोनों के बीच सन्तुलन स्थापित कर सके ।३३ ५. ग्राम में रहने वालों में बुद्धि का बीज नहीं होता-ऐसा नहीं है। उसे
प्रस्फुटित होने की सामग्री नहीं मिलती यह एक सचाई है।" ६. अनुशासन की पहली शर्त है --तादात्म्य । ५ ७. ताड़ना में सिकुड़न पैदा होती है और स्नेह में विकास ।" ८. कोरा आक्रोश या कोरा उलाहना जहां प्रतिक्रिया पैदा करता है वहां युक्ति
संगत बात अन्तःकरण को छू लेती है । ९. विवेक और नियंत्रण की शक्ति विकसित होने पर व्यक्ति का जीवन स्वयं ___ शासित हो जाता है। १०. बहुत छोटी-छोटी बातों से जीवन का निर्माण कैसे होता है-इसे केवल
बड़ी बातों में विश्वास करने वाले नहीं समझ पाते हैं।" ११. कोई गांठ पड़े तो भी वह इतनी उलझी न हो, जिसे खोलना कठिन बन
जाए। १२. यदि उपाय की मनीषा जाग जाए तो अपचों को निरस्त करने में कठिनाई
नहीं होती। १३. जीवन निर्माण में छोटी-छोटी बातें बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती
खण्ड २०, अंक ४
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org