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हैं । आर्त, रोद्रध्यान होता है तब अशुद्ध लेश्या होती है, इस स्थिति में चैतन्य केन्द्र सुप्त रहते हैं । धर्म और शुक्ल ध्यान की अवस्था में लेश्या शुद्ध होती है। उस समय चैतन्य केन्द्र जागृत हो जाते हैं । चैतन्य केन्द्र हमारी चेतना और शक्ति की अभिव्यक्ति के स्रोत है । उन्हें जागृत करने की दो पद्धतियां हैं
(१) विशुद्ध लेश्या की भावधारा द्वारा चैतन्य-केन्द्र अपने आप जागृत हो जाते
(२) चैतन्य-केन्द्रों पर अवधान नियोजित करने पर भी वे जागृत हो जाते हैं।
लेश्या जीव-अजीव के अनुमापक के रूप में भी प्रयोग की जा सकती है। जीव और अजीव के बीच में भेद रेखाएं की गयी हैं उसमें एक भेद-रेखा है लेश्या । लेश्या जीव में ही होती है अजीव में नहीं होती। इस नियम के आधार पर यह कहा जा सकता है कि जिसमें लेश्या होती है वह जीव है और जिसमें लेश्या नहीं होती वह अजीव हैं । आभामण्डल केवल जीव में बनता है। प्रत्येक प्राणी के दो प्रकार के शरीर होते है--स्थूल और सूक्ष्म । तीसरा कारण शरीर भी कहा गया है। स्थूल शरीर रक्त, मांस, अस्थि आदि से निर्मित होता है। सूक्ष्म शरीर सूक्ष्म परमाणुओं से निर्मित होता है। उसके इलेक्ट्रान स्थूल शरीर (ठोस शरीर) के इलेक्ट्रानों की अपेक्षा अधिक तीव्र गति से चलायमान होते हैं। इसीलिए सूक्ष्म शरीर और उसकी गतिविधि इन्द्रियगम्य नहीं होती । सूक्ष्म शरीर के दो प्रकार हैं-तेजस् शरीर और कर्मशरीर । प्राणी की प्राणशक्ति का मूल स्रोत तेजस् शरीर है । इससे प्राण-शक्ति उत्पन्न होती है। वह स्थूल शरीर, श्वास, इन्द्रिय, मन और वचन को संचालित करती है। मृत शरीर का आभामण्डल नष्ट हो जाता है । विषय विवेचन की अपेक्षा से वर्ण, रस गन्ध स्पर्श के आधार पर लेश्याओं का वर्गीकनण निम्न हैं :
___ कृष्णा नीला च कापोती, पाप लेश्या भवन्त्यभूः,
तैजसी पद्म शुक्ले च धर्मलेश्या भवन्त्यमू ।। पाप लेश्याएं, कृष्ण, नील और कापोत तथा धर्म लेश्याएं, तेजस्, पद्म और शुक्ल के वर्ण रस गन्ध व स्पर्श निम्न प्रकार हैं : कृष्णवर्णकाजल के समान काला
रस---नीम से अनेक गुना कटु गन्ध-मृत सर्प की गन्ध से अनन्त गुण अनिष्ट गन्ध
स्पर्श -- गाय की जीभ से अनन्त गुण कर्कश नील-वर्ण-- नीलम के समान नीला
रस -सौंठ से अनन्तगुण तीक्ष्ण कापोत-वर्ण-~-कबूतर के गले के समान रंग
रस ... कच्चे आम के रस से अनन्त गुण तिक्त विशेष --गन्ध और स्पर्श इन तीनों पाप लेश्याओं का गुण धर्म समान है । तेज वर्ण---हिगूल-सिंदूर के समान रक्त ।
रस --- पके आम के रस अनन्तगुण मधुर । गन्ध-सुरभि-कुसुम की गन्ध से अनन्तगुण इष्ट गन्ध ।
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तुलसी प्रज्ञा :
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