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तथा एड्स जैसी बीमारियों का इलाज आज सम्भव नहीं है, लेकिन विज्ञान की प्रगति को देखते हुए लगता है कि आने वाले २०-२५ वर्षों में इनका इलाज सम्भव हो सकेगा। जो व्यक्ति इन बीमारियों से ग्रस्त हैं, उनकी मौत तो सामने ही खड़ी दिखती है। यदि इन बीमारों की उम्र कम है और वे और जीना चाहते हैं तो वे स्वयं को २०-२५ वर्षों के लिए फ्रीज करा सकते हैं । २०-२५ वर्ष बाद इन्हें पुनः सामान्य अवस्था में लाया जा सकेगा तथा इलाज भी कराया जा सकेगा।
उक्त सारे विवरण से यही निष्कर्ष निकलता है कि आयु बढ़ भी सकती
दार्शनिक समाधान
यदि किसी भी जीवित प्राणी की आयु बढ़ सकती है तो एक गंभीर प्रश्न पैदा हो जाता है कि जिस जीव ने जितना आयु का बन्ध किया है उसे उसी के हिसाब से जिन्दा रहना चाहिए, लेकिन आयु बढ़ने से यह व्यवस्था तो गड़बड़ा जायेगी। लेकिन ऐसा सोचना गलत है । जीव अपने बांधे हुए आयु कर्म के हिसाब से ही जीएगा। वस्तुतः जीव आयु कर्म के निषेक बांधता है जो कि निश्चित हैं। ये निषेक प्रति समय खिरते रहते हैं । लेकिन ये किस आवृति से खिरेगें ? यह बात समय के सापेक्ष (यानि की काल-नियत) नहीं है । यह मौजूदा परिस्थितियों पर निर्भर करती है। निषेक खिरने की दर घट भी सकती है और बढ़ भी सकती है तथा सामान्य परिस्थितियों में सामान्य भी हो सकती है। यदि किसी को फ्रीज कर दिया जाए तो निषेकों के खिरने की दर बहुत धीमी होगी और यदि कहीं दुर्घटना हो जाय या कोई उसकी हत्या कर दे तो निषेक खिरने की दर बहुत तेज हो जायेगी। हो सकता है कि सारे निषेक एक साथ ही खिर जाएं।
इस प्रकार कोई कितने वर्ष जीवित रहेगा यह उसके बांधे हुए निषेकों के खिरने की दर पर निर्भर करता है। निषेक किस गति से खिरेंगे, यह मौजूदा परिस्थितियों पर निर्भर करता है । अतः आयु भी इस दृष्टि से, काल-नियत नहीं है और वह बढ़ भी सकती है । जब आयु बढ़ सकती है तो आयु कम भी हो सकती है तथा अकाल-मरण भी सम्भव है।
यहां पर नियतिवादी फ्रीज किए गए जीव के बारे में पुन: अपनी वही बात दोहरा सकता है कि उस जीव को फ्रीज होना ही था, उसके निषेक धीमी गति से खिरने ही थे, उसे अधिक समय तक जीवित रहना ही था। लेकिन ये सब कथन भी तर्क संगत नजर नहीं आते हैं। एक बात तो यह है कि किसी भी जीव को फ्रीज किया जा सकता है । जैसे वीर्य को फ्रीज किया। वीर्य में भी सैकड़ों जीवाणु होते हैं। किसी अमुक वीर्य-जीवाणु को फ्रीज किया जाएगा ऐसा नहीं कहा जा सकता। प्रत्येक वीर्यजीवाणु के फ्रीज किए जाने की समान सम्भावना है । अतः सम्भावना (probability) के आधार पर यह सत्य नहीं भी होता है। दूसरे आयु का थोड़ा-बहुत अन्तर होना अलग बात है । लेकिन सामान्य से दस-दस या बीस-बीस गुना आयु बढ़ सकना एक अलग बात है। किसी भी प्राणी को फ्रीज करके उसकी आयु सामान्य से कई गुना तक
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तुलसी प्रज्ञा
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