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करने के लिए भेजता है । हम्मीर अपने सेनापति भीमसिंह और धर्मसिंह को युद्ध के लिए भेजता है। धर्मसिंह की मूर्खता से चाहमान सेना हार जाती है और भीमसिंह मारा है। हम्मीर भोज को दण्डनायक नियुक्त करता है। परन्तु धर्मसिंह अपनी कूटनीति द्वारा पुनः अपना पुराना पद प्राप्त कर लेता है । वह भोज को अवमानित करता है। फलस्वरूप भोज अल्लाबुद्दीन की सेवा स्वीकार कर लेता है।
दशम सर्ग में भोज के परामर्श से हम्मीर पर पुनः आक्रमण किया जाता है । इस युद्ध में उल्लू खान पराजित होकर भाग जाता है। इधर महिमासाहि जगरा पर आक्रमण कर भोज के भाई को वन्दी बना लेता है। भोज की दुर्दशा को सुनकर अल्लाबुद्दीन हम्मीर को दण्ड देने की प्रतिज्ञा करता है । एकादश सर्ग में निसुस्तखान और उल्लूखान युद्ध के लिए प्रस्थान करते हैं । युद्ध में निसुस्तखान मारा जाता है । द्वादश सर्ग में अल्लाबुद्दीन स्वयं रणस्तम्भपुर पर आकमण करता है। त्रयोदश सर्ग में वह उत्कोच देकर रतिपाल को अपनी ओर मिला लेता है। रतिपाल अपनी कूटनीति से रणमल्ल और जाहड़ को भी अपने साथ ले लेता है । इस परिस्थिति को देखकर हम्मीर निराश हो जाता है। अन्तःपुर की स्त्रियाँ जौहर व्रत का पालन करती हैं । हम्मीर रणभूमि में जाता है और अपनी हार सुनिश्चित जानकर स्वयं अपना वध कर लेता है । चतुर्दश सर्ग में हम्मीर के गुणों की स्तुति एवं कवि प्रशस्ति है।
हम्मीर महाकाव्य का नायक स्वजातीय गौरव की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति कर देता है। यह एक दुःखान्त महाकाव्य है। इसमें मध्यकालीन भारतीय इतिहास को प्रस्तुत किया गया है। इसमें वीर रस की प्रधानता है । वस्तुतः रस-प्रधान काव्य की रचना करना ही कवि का उद्देश्य था। महाकाव्य में ऐतिहासिकता के साथ ही उच्च कोटि की साहित्यिकता भी विद्यमान है। इस महाकाव्य में कुल २६ प्रकार के छन्दों का प्रयोग हुआ
कुमारपालचरित महाकाव्य
कुमारपालचरित" महाकाव्य की कथावस्तु भी गुर्जर नरेश कुमारपाल से सम्बन्धित है । इसमें हेमचन्द्र और कुमारपाल के सम्बन्धों की चर्चा विस्तार से की गयी है। इसके रचयिता जयचन्द्र के पट्टधर, रत्नसिंहसूरि के शिष्य चरित्रसुन्दरगणि हैं । इनके साहित्य-गुरु जयमूर्ति पाठक थे।" इस महाकाव्य की रचना वि. सं. १४८७ में हुई थी। इसमें कुल १० सर्ग हैं।।
प्रथम सर्ग में भीमदेव (प्रथम) से लेकर सिद्धराज जयसिंह तक कुमारपाल के पूर्वजों का वर्णन है। सिद्धराज जयसिंह के दिग्विजय से लौटने पर
खण्ड १९, अंक ४
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