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9. Iqid, p. 115 10. डॉ० देवसहाय त्रिवेद, प्राङमौर्य बिहार, प्रथम संस्करण, पटना, १९५४,
पृ० ९२ 11. R. M. Smith, D. D. E. 1, p. 345%; S.N. Majumdar,
JBORS Vol. vii, part II-III, p. 115 12. Pargiter, DKa, p. 18 13. कथासरित्सागर, मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली, १९७७, पृ० ३३
२. मगध का मौर्य शासक शालिशूक
सन् १९३० में दीवानबहादुर के० एच० ध्रुव ने युगपुराण के मुख्यांश का सम्पादन करके बिहार उड़ीसा रिसर्च सोसाइटी के जर्नल में टिप्पणियों और अनेक परिशिष्टों के साथ प्रकाशित किया। उसमें उन्होंने प्रसंगवश मौर्य-शासक शालिशूक के बारे में कुछ बातें लिखी हैं। उनका कहना है कि शालिशूक कुणाल का पुत्र तथा दशरथ और सम्प्रति का छोटा भाई था। कुणाल की मृत्यु के बाद मौर्य साम्राज्य के दो टुकड़े हो गये थे। पूर्वी भाग की राजधानी पाटलिपुत्र में दशरथ और पश्चिमी भाग की राजधानी उज्जयिनी में सम्प्रति एक ही वर्ष राज्यारूढ़ हुए किन्तु दशरथ, सम्प्रति के एक वर्ष पहले मर गया और तब शालिशूक मगध का शासक बना। मगध में सत्तारूढ़ होने के पहले शालिशूक सम्प्रति के अधीन सौराष्ट्र का शासक था और वहाँ उसने जैन धर्म का प्रचार करने के लिए बहुत जोर-जुल्म किया। ध्रुव की सम्मति में इसीलिए युग-पुराण में उसे दुष्ट और अधार्मिक कहा गया है। दिव्यावदान के एक अंश अशोकावदान के आधार पर ध्रुव यह भी मानते हैं कि साम्राज्य के पूर्वी भाग में दशरथ के बाद क्रमशः शालिशूक, देवधर्मा, शतधन्वा और बृहद्रथ ने शासन किया जब कि पश्चिमी भाग में सम्प्रति के बाद बृहस्पति, वृषसेन, पुण्यधर्मा और पुण्य मित्र ने ।'
ध्रुव के इन विचारों पर पिछले ६२ वषों में कुछ छान-बीन हुई है ऐसा तो हमें ज्ञात नहीं। फिर भी यहाँ बहुत सी बातें विचारणीय हैं : शालिशूक का पुराणों में क्या स्थान है ? क्या वह सचमुच दशरथ और सम्पत्ति का भाई था और राजा होने के पूर्व क्या सचमुच उसने सौराष्ट्र के शासक के रूप में बलात् जैनमत का प्रचार किया था ? क्या कुणाल के बाद सचमुच मौर्य साम्राज्य दो भागों में बंट गया था और दशरथ तथा सम्प्रति दो अलग-अलग भागों के शासक थे ?
अन्तिम प्रश्न का उत्तर पुराणों में नकारात्मक मिलता है। दशरथ
तुलसी प्रज्ञा
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