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का शासक नहीं बल्कि अवन्ति का बताते हैं और प्रद्योत के पिता का नाम जयसेन और पितामह का नाम उसी तथाकथित भ्रांतिपूर्ण पुराण में ढुंढते हैं । "पौराणिक'' का एक अर्थ पुणक नाम के पुरुष की पुत्र संतान हो सकता है। तदनुसार “प्रद्योतस्य पौणकि कुमारम्' का अर्थ होगा "प्रद्योत का वह पुत्र जो पुणक को संतान था ।'' बात बेढंगी हो जाती है । पुणक यदि प्रद्योत के पिता का नाम था तो प्रद्योत को ही पौणकि कहना चाहिए, प्रद्योत के किसी एक पुत्र के लिए यह विशेषण व्यथं है क्योंकि वंशधर के रूप में उसके सभी पुत्र, पौत्र, प्रपौत्र आदि वैसे तो पौणकि हो जायेंगे ।
वास्तव में पुणक नाम न ता मगध के प्रद्योत के पिता का था और न उज्जयिनी के प्रद्योत के पिता का । मगध के प्रद्योत के पिता का नाम पुराणों में पुलिक, पुलक, पलिक, शुनिक, मुनिक, शुनक, शनक आदि रूपों में मिलता हैं परन्तु 'पुणक' कहीं भी प्राप्त नहीं है।" अवन्ति के प्रद्योत को महासेन कहा गया है। कथासरित्सागर के कथामुखलम्बक को तीसरी तरंग में महासेन के पिता का नाम जयसेन और पिमामह का नाम कृतवर्मा बताया है। अतः हर्षचरित के संदर्भ में आया हुआ 'पोणकि' शब्द कदापि प्रद्योत के पिता के नाम से संबंधित नहीं हो सकता ।
संस्कृत में सुमित्र का पुत्र सौमित्रिा, लक्ष्मण का पुत्र लाक्ष्मणि, जबाला का पुत्र जाबालि किस तरह बनता है वैयाकरणों को अज्ञात नहीं। उसी प्रकार पुणका का पुत्र पौणकि कहलायेगा। अस्तु, सिद्ध हुआ कि कुमारसेन की माता शूद्रा थी और उसका नाम पुणका था। राजपुत्र होते हुए भी कुमारसेन राज्याधिकारी नहीं था, न उसकी हत्या का कोई राजनैतिक तात्पर्य था। इसीलिए अन्यत्र इस घटना को उल्लेखनीय नहीं समझा गया। सन्दर्भ-सूची: 1. F. E. Pargter, The Purāņa Text of The Dynasties of The
kali Age, 19 13, p. 31 2. Ibid, pp. 32-34 3. Ibid, p. 31; R.M. Smith, Dates And Dynasties In ____Earlist India, Delhi, 1973, P. 368. 4. Smith, Ibid, P. 349 5. Ibid, P. 349 6. Pargiter, DKa. pp. 20-22 7. Upendranath Roy, Xandrames And Sandrocottus, Tulsi ___prajna, Vol xviii, No. I, pp. 18-25 8. JBORS, Vol vii, part II-III, pp. 114-115.
खण्ड १९, अंक २
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