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शत्रु, दर्शक, उदयी नन्दिवर्द्धन, महानन्दी ने शासन किया। फिर शिशुनाग ने सत्ता संभाली । उसके बाद काकवर्ण या काकवर्णी राजा हुआ जिसे स्मिथ पालि ग्रंथों का कालाशोक मानते है । काकवी की गुप्त हत्या के बाद उसका अल्पवयस्क पुत्र क्षेमधर्मा कुछ दिन नाममात्र शासक रहा और फिर महापद्म ने सीधे सत्ता संभाल ली।४
पुराणों की दृष्टि में काकवर्णी अपने वंश का दूसरा राजा है और उसको बौद्ध-परम्परा के कालाशोक से मिलाना अनुचित है। शिशुनाग वंश का अन्तिम राजा तो महानन्दि था । स्मिथ की बात माने तो शिशुनाग वंश में केवल तीन राजा ठहरते हैं -शिशुनांग, काकवर्ण और क्षेमधर्मा। किन्तु स्वयं स्मिथ भी पढ़ते हैं-इत्येते भवितारो वै शैशुनागा नृपा दश ।५ श्लोकों का क्रम उलट-पलट हो जाना सम्भव है किन्तु तीन को दश बताना तो इस प्रकार सम्भव नहीं । स्मिथ इसकी कोई व्याख्या नहीं दे पाते । अतः पाजिटर द्वारा सम्पादित पाठ ही ठीक है जिसमें शिशुनाग, काकवर्ण, क्षेमधर्मा, क्षत्रौजा, बिम्बसार, अजातशत्रु, दर्शक, उदयी, नन्दिवर्द्धन और महानन्दी इस क्रम से दस नाम मिलते है ।' 'महापद्म ने राज्य पाने के लिए शिशुनागवंश के किसी राजा की हत्या की थी, ऐसी बात कहीं भी किसी भी, ग्रंथ में नहीं मिलती केवल ग्रीक और लैटिन ग्रन्थों से तुक भिड़ाने के लिए यह कल्पना की जाती है । अतः काकवर्ण की गुप्त हत्या की घटना महापद्म के बहुत पहले की है, शिशुनाग वंश के अन्त से उसका कोई सम्बन्ध नहीं। सम्भवतः इसमें कोई राजनैतिक षड्यन्त्र भी नहीं था । किसी असंतुष्ट व्यक्ति ने यों ही मौका पाकर राजा को मार डाला । बाण ने हत्याकारी का नाम नहीं बताया, क्योंकि परम्परा में घटना की बात चली आ रही थी किन्तु घातक का नाम अज्ञात था।
३. कुमार सेन की हत्या-महाकाल के उत्सव के समय कुमारसेन को किसी ने मार डाला था। किसने मार डाला था ? बाण कहते हैं तालजंघ नाम के वेताल (भूत) ने । कुमार सेन के साथ जो विशेषण जुड़े हैं वे उसके परिचय में सहायक हो सकते हैं किन्तु विवाद के विषय बन गये हैं। हत्या किस परिस्थिति में हुई इसका भी उल्लेख बाण ने किया है किन्तु उसकी भी अपव्याख्या हुई है । अतः अकारण उलझन पैदा हो गयी है । मूल पाठ हैमहाकालमहे च महामांस विक्रयवादवातूलं वेतालः तालजंघो जघाम जघन्यजं प्रद्योतस्य पौणकि कुमारं कुमारसेनम् । इसके विवादग्रस्त विषयों पर हम क्रमशः विचार करते हैं।
तालजंघ को बाण ने स्पष्टतः वेताल कहा है। बहुत से लोग इसे मानने को राजी नहीं । वे कहते हैं कि मत्स्यपुराण में हैहय राजा कार्तवीर्य का पुत्र अवन्ति कहा गया है जिसके वंशजों में से एक तालजंघ था और
खण्ड १९, अंक २
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