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________________ अम्मो, कि एसो सहसा गअणंगणादो अवइण्णो पुण्णिमाहरिणको? किंवा तु?ण णीलकंट्टण णिअदेहं लंभिदो मणोहओ ? ४७ मृगाक्षी क० मं० को जबसे राजा ने देखा है, उस नवयौवना ने राजा पर जब से कटाक्षपात किया है, तब से राजा की स्थिति कुछ और हो गई है । उसके विरह में अब शीतदायिनी वस्तुएं भी कष्टकर हो गई हैं। विवाह के समय क० म० का स्पर्श पाकर वह रोमाञ्चित हो जाता है। कौन ऐसा जीवित-युवक होगा जो किसी यौवन-धन्या का संस्पर्श पाकर रोमांचित नहीं होगा। यहां नायक का सौन्दर्य दर्शनीय है-- जे कंटा तिउसमुद्धफलेसु संति जे केअईकुसुमगब्भदलावलीसु । फंसेण णूणमिह मज्झ सरीरदिण्णा ते सुंदरीअ बहला पुलअंकुराली ।।४८ चक्रवर्ती पद प्राप्त नायक मनोहर लग रहा है। वह कुंतलेश्वरसुता और चक्रवर्ती-पद दोनों अलभ्य वस्तुओं को प्राप्त कर अत्यंत प्रसन्न है। प्रसन्नचित्त राजा का रूप-लावण्य निरीक्ष्य है : कुंतलेसरसुआकरफंसप्फारसोक्खसिढिलीकिदसग्गो। पालएमि वसुहातलरज्जं चक्कवट्टिपअवीरमणिज्जं ॥४९ नायिका-कर्पूरमंजरी विवेच्य सट्टक की नायिका है। लक्षण-शास्त्रियों के अनुसार सड़क में देवी और नवीनवाला दो नायिकाएं होती हैं ।५° नेता देवी से त्रस्त होते हुए भी उसमें प्रवृत्त होता है। नाट्यदर्पणकार ने नायिका के चार भेदों का निरूपण किया है५१...। १. देवी अप्रसिद्ध कन्या प्रसिद्ध । २. दोनों अप्रसिद्ध ३. देवी प्रसिद्धा कन्या अप्रसिद्धा ४. दोनों प्रसिद्धा । क० मं० में चतुर्थ श्रेणी अर्थात् दोनों प्रसिद्धा हैं। ____ क० म० कन्या, सुन्दरी, बाला, युवति, नवयौवना और विलासिनी है। कामदेव उसके रूप का आश्रय पाकर सदा के लिए निश्चिन्त हो गया है। यहां विचार्य है कि वह कन्या लक्षणशास्त्रियों द्वारा लक्षित नायिका कोटि में कहां अवस्थित होती है ।५२ सरस्वतीकण्ठाभरणकार ने विभिन्न प्रकार से नायिकाओं का निरूपण किया है १. कथावस्तु के आधार पर पांच भेद-नायिका, प्रतिनायिका, उपनायिका, अनुनायिका और नायिकाभास । यहां क० मं० नायिका के अन्तर्गत परिगणित की जा सकती है। क्योंकि सम्पूर्ण कथा का मुख्य बिन्दु वही है। २. गुण के आधार पर तीन भेदउत्तम, मध्यम और अधम । क० १०८ तुलसी प्रज्ञा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524576
Book TitleTulsi Prajna 1993 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1993
Total Pages184
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size9 MB
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