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________________ साहित्यिक गतिविधियाँ, संस्थाओं से संबंध, खट्टे-मीठे अनुभव आदि जो आत्मकथा के मूल में समाहित होने चाहिए, यहाँ परिशिष्ट में अथवा पृथक से लिखे गये हैं । लेखक का "ननुनच' भी सर्वत्र दीख पड़ता है । उन्होंने प्रथम पृष्ट पर ही लिखा - "जरा ठहर " - अभी मेरा कार्य अधुरा है किन्तु मुख पृष्ठ पर अपना पृष्ठ भाग दर्शाने वाला चित्र प्रकाशित किया है जो काम समाप्त कर विश्राम स्थल जाने को इंगित करता है । फिर भी लेखक ने अपने जीवन और पारिवारिक संदर्भों को युगीन परिवर्तनों से जोड़ा है और उसके जीवन में पंजाब-हरियाणा की राजनीतिक एवं सामाजिक करवट से विस्तर पर पड़ी सिलवटों की तरह जब-तब पाठक के हृदय में गुदगुदी पैदा होती है । बलबन्त राय तायल, चौधरी देवीलाल, भीमसेन सच्चर, वंशीलाल, भजनलाल, ला० अचिन्तराम आदि से संबंधित राजनीतिक सम्पर्क; स्वामी केशवानंद, राजर्षिटण्डन, विष्णु प्रभाकर, महाशय तेगराम, बनारसी दास गुप्त, मूलचन्द जैन, सुधाकर पाण्डेय, सुषमा स्वराज आदि से जुड़े साहित्यिक प्रसंग और आचार्यश्री तुलसी के आशीर्वाद से उनके द्वारा अणुव्रत आंदोलन और प्रेक्षाध्यान के क्षेत्र में किये गए कार्य इस दृष्टि से उल्लेख योग्य हैं । वस्तुतः इस पुस्तक में सन् १९३० से १९७० के बीच के अनेक अनकहे प्रसंग हैं । ये प्रसंग एकांगी हो सकते हैं किन्तु रोचक हैं और पठनीय हैं । लेखक ने इसे स्वान्तः सुखाय लिखा है किन्तु हरियाणा को समझने के इच्छुक पाठक के लिए इसमें अनेक प्रेरणादायी सूत्र संकलित कर दिये हैं । इस नयी विधा के सृजन के लिए जैन साहब बधाई के पात्र हैं । - परमेश्वर सोलंकी ३. वल्लभ - काव्य-विभा सं० श्याम श्रोत्रिय प्र० श्रोत्रिय प्रकाशन वल्लभ - सखा-सदन, पंडित निवास, बल्लागली, तिलकद्वार मथुरा, ( उ० प्र० ) पृ० सं० ३४ + ३१, वर्ष १९९२ मूल्य २५/ वल्लभ- काव्य-विभा श्री श्याम श्रोत्रिय द्वारा सम्पादित श्री व्रजवल्लभ देव श्रोत्रिय वल्लभ - सखा की प्रख्यात रचनाओं का एक मधुर संकलन है । वल्लभ - सखा की प्रेमगीत माला एवं कपट - सखा आरंभ - काल में बड़ी धूम थी । 'प्रेम गीत माला' श्री नृसिंह देव शर्मा वैद्य, मथुरा के सौजन्य से सप्तदृश हिंदी साहित्य सम्मेलन भरतपुर द्वारा प्रकाशित हुई थी। श्री वियोगिहरि ने इसकी प्रस्तावना लिखी और वल्लभ को 'व्रज के धूल भरे हीरे' कहा था । इसमें मंगलाचरण का एक पद है, जिसमें नंदलाल के प्रेमीरूप की बंदना है और फिर • खण्ड १९, अंक २ १६३ Jain Education International कृतियों की द्विवेदी युग के सर्वप्रथम संबत् १९८३ में For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524576
Book TitleTulsi Prajna 1993 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1993
Total Pages184
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size9 MB
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