________________
शैली एवं रीति की दृष्टि से भी काव्य महनीय है। वैदर्भी का सुन्दर विन्यास हुआ। श्रुतिमधुर शब्दों का सुंदर संगठन एवं मनोरम भावों के संयोजन से काव्य-चारुता संवद्धित हुई। छन्द विन्यास ____ 'चादयति आह्लादयतीति छन्द.' अर्थात् जो आह्लादित करे, हृदय को आनन्दित करे, वह छन्द है । छन्द-बन्ध में कही हुई बातें सशक्त एवं प्रभावोत्पादक होती हैं।
प्राचीनकाल से ही कवियों ने अपनी अनुभूति को सार्वजनीन बनाने के लिए छन्दों का सहारा लिया है।
विवेच्य काव्य में अनेक छन्दों का विनियोजन किया गया है। एक सर्ग में एक से अधिक छन्द भी प्रयुक्त हैं । अनुष्टुप्, इन्द्रवज्रा, उपजाति, उपेन्द्रज्रा, द्रुतविलम्बित, मन्दाक्रान्ता, बसन्ततिलक और शार्दूल विक्रीडित छन्द का विनियोग हुआ है। कुछ उदाहरण द्रष्टव्य हैंअनुष्टुप्आकर्ण्य पश्चिमां युक्ति,
राजा चेतसि चिन्तितम् । ख्यातिनस्यात् कला स्थानं,
प्रदेशभ्रमणं विना ॥५
इन्द्रवज्ञा
सौधं द्रुमाः पत्रमिहात पत्रं,
सिंहासनं भूमितलं पवित्रम् । पतत्त्रिपत्राणि च चामराणि,
रुतं खगानां खलु बन्दिबोधः ॥४६ उपेन्द्रवजापरोपकारः प्रवणं महान्तं,
भृतं विशुद्धेन च जीवनेन । सरोवरं सज्जनवद् ददर्श,
क्रमादरण्यं व्यतियान् नृपोऽसौ ॥ मन्दाक्रान्तापरसदननिविष्टः को लघुत्वं न याति,
भवति विकलकान्तिः कौमुदीशो दिनेऽसौ । वचनविषय निष्ठो मानसस्थो विकल्पो,
भजति किमु कदाचिद् मौलिक रूपमहर्यम् ॥ अलंकार
काव्य शरीर के बाह्य शोभाधायक तत्व को अलंकार कहा जाता है। खण्ड १८, अंक ४