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________________ नीति काव्यों की श्रृंखला में मुनिश्री वत्सराज की "चतुष्कोणः" भी एक सद्यस्क कृति है । ठाणं सूत्र की चतुभंगियों की तरह इसमें भी सुभाषित और उपदेश को प्रांजल भाषा में पिरोने का प्रयत्न किया गया है। उस प्रयत्न में सफलता भी मिली है। आकार की दृष्टि से कृति लघु होते हुए भी सरस और सुपाठ्य है । तेरापंथ के साधु-साध्वियों ने संस्कृत भाषा के विकास के लिए हर नये उन्मेष को स्वीकार किया और उसमें सफलता प्राप्त की। ऐकाह्निक शतक, समस्यापूर्ति, आशुकवित्व, एकाक्षरी काव्य, चित्रमय काव्य आदि उनमें प्रमुख हैं । वि० सं० १९७४ में चूरू में पं० रघुनन्दन का तेरापंथ के आठवें आचार्यश्री कालूगणी के साथ सम्पर्क हुआ। पण्डितजी आचार्यश्री के प्रथम सम्पर्क से ही प्रभावित हो गए थे। उन्होंने साधुओं के आचार व्यवहार का सम्यग्ज्ञान प्राप्त करके उसी दिन तीन घण्टों में "साधु शतकम्" नामक काव्य की रचना की। उसे देखकर साधु-साध्वियों के मन में भी शतक रचना की बात घूमने लगी। वि० सं० २००० के फाल्गुन में जब आचार्यश्री तुलसी भीनासर में प्रवास कर रहे थे तब सर्व प्रथम युवाचार्यश्री महाप्रज्ञ ने ऐकाह्निक शतक बनाया। उसके कुछ दिनों पश्चात् निकायप्रमुख मुनिश्री बुद्धमल्ल ने ऐकाह्निक शतक बनाया। उसके पश्चात् तो शतक रचना की एक प्रकार से होड़ लग गई। अनेक साधुओं तथा साध्यिों ने ऐकाह्निक शतकों की रचना की। उससे आगे आने वाली पीढ़ी ने इस क्रम को और आगे बढ़ाया तथा कुछ वर्षों पश्चात् वि० सं० २०१६ में मुनिश्री राकेश कुमार ने एक दिन में एक हजार श्लोकों तथा विक्रम संवत् २०१८ में मुनि गुलाबचन्द्र "निर्मोही" ने एक दिन में ग्यारह सौ संस्कृत श्लोकों की रचना की। ऐकालिक शतकों के अतिरिक्त कुछ अन्य शतक काव्य भी लिखे गए हैं जिनमें मानवीय संवेदनाओं के साथ अन्तरंग अनुभूतियों का सम्यग् चित्रण हुआ है। उनमें से कुछ प्रमुख हैं : भिक्षुशतकम् युवाचार्यश्री महाप्रज्ञ कृष्ण शतकम् मुनिश्री छत्रमल महावीर शतकम् भिक्षु शतकम् जयाचार्य शतकम् कालू शतकम् तुलसी शतकम् तेरापंथ शतकम् तुलसी शतकम् दुलीचन्द "दिनकर" अणुव्रत शतकम् चम्पालाल धर्म शतकम् समस्या शतकम् " मधुकर २४२ तुलसी प्रज्ञा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524572
Book TitleTulsi Prajna 1992 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1992
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size8 MB
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