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शांतिकर का उल्लेख है। राजा उद्योत केसरी देव के लेख 'ओम् स्वस्ति' के के चिह्न से शुरू होते हैं। उनमें आचार्य कुलचन्द्र शिष्य शुभचन्द्र और छात्र श्री धर तथा छात्र बीजो के नाम हैं। यह आचार्य कुलचन्द्र, श्री आर्यसंघ प्रतिबद्ध गह कुल से निकले देशीगण के आचार्य हैं। ___ इन लेखों का मूल पाठ निम्नप्रकार से प्रस्तुत किया जा सकता है(१) अरहंत पसादाय कालिंगानं समानानं लेनं कारितं राजिनो लालाकस/ हथिस हसपयोतस धुतुना कलिग चकवतिनो सिरि खारवेलस/अगमहिसिना कारितं (२) ऐरस महाराजस कालिंगाधिपतिनो महामेघवाहनस कुडेप सिरिनो लेनं (३) कुमारो वासुकस लेनं (४) चुलकमस कोठाजेया च (५) कम्मस हलरिव/ताय च पसादो (६) चूलकमस पसादो कोठाजेया च (७) [चैत्य आकृति] नगर अरिवदंस/संभूतिनो लेनं [स्वस्तिक] (८) महामदास वारियाय नाकिपसलेनं (8) पादमुलिकस कुसुमासलेनं (१०) दोहद समनानं लेनं (११) [ओम्] श्रीउद्योतकेसरी विजयराज्य संवत् ५/श्री कुमार पर्वत स्थाने जीर्ण वापि जीर्ण ईसन/उद्योतिते तस्मिन् स्थाने चतु विंशतितीर्थकर स्थापित प्रतिष्ठाकाले-----जसनादिक/श्री पार्श्वनाथस्य कर्मकारः (१२) [ओम्] श्री आचार्य कुलचन्द्रस्य तस्य शिष्य खल्ल शुभ चन्द्रस्य/छात्रवीजो (१३) श्री धर छात्र (१४) [ओम्] श्रीमद उद्योतकेसरी देवस्य प्रवर्द्धमाने विजयराज्ये संवत् १८/श्री आर्यसंघ प्रतिबद्ध गृहकुल विनिर्गत देशीगण आचार्य श्री कुलचन्द्र भट्टारकस्य तस्य शिष्य शुभचन्द्रस्य (१५) श्री शान्तिकर सौराज्याद आचन्द्राक्क/गहे-गहे। खदिसंज्ञाने पुण्यः प्रसंगे-जास्य विराजेजने ॥ ईज्यागर्भ संमुद्/भूतो नन्दनस्य सुतो भिषक् । भीमतो/याचते वान्यप्रस्थं संवत्सरात् पुनः॥
उपर्युक्त १५ लेख अलग-अलग गुंफा में उत्कीर्ण हैं। पहले तीन लेख मांचीपुरी अथवा स्वर्गपुरी गुंफा में है जहां कलिंग जिन की पूजा के दृश्य भी बने हैं । क्रमांक ४ व ५ के लेख सर्प गुफा में, छठा लेख हरिदास गुफा में है। सातवां लेख बाघ गुंफा में है। आठवां बाघेश्वर गुंफा, नौवां तत्त्वगुंफा और दसवां अनंत गुंफा में है। लेख संख्या ११ से १५ तक के लेख बाद के हैं और बाद में बनी नई गुंफाओं में हैं।
अन्तिम १५वें लेख में वर्णित राजा श्री शांतिकर यदि राजा शोभन का ही नाम हो तो 'एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल' की रिपोर्ट (सन् १८६५) में वर्णित 'मायलापांजि' की कहानी को आधार मिलता है कि राजा युधिष्ठिर से ३७८२ वर्ष बाद राजाशोभन पर रक्तबाहु ने आक्रमण किया किया और उसे जीतकर २४६ वर्ष तक उत्कल पर शासन किया। उससे पूर्व की कहानी 'उड़ीसा हिस्टोरिकल रीसर्च जर्नल, (वोल्यूम २ नं०२) में
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