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संपादकीय
उदयगिरि-खण्डगिरि के छोटे लेखों का महत्त्व
खण्डगिरि-उदयगिरि पहाड़ियों पर 'खारवेल-प्रशस्ति' के अतिरिक्त भी कई छोटे-छोटे लेख हैं। कुछ चित्र और मूर्ति फलक भी बने हैं। उनको संदर्भ में लिये बिना 'खारवेल-प्रशस्ति' का सही मूल्यांकन हो पाना संभव नहीं है।
दोनों पहाड़ियों पर लगभग तीन दर्जन गुंफाएं बनी हैं। हाथी गुंफा सबसे बड़ी है। १२ फीट ऊंची यह गुफा २८४५६ वर्गफीट की है। एक छोटी हाथी गुंफा भी है । दूसरे नंबर की गुंफा मांचीपुरी अथवा स्वर्गपुरी गुंफा है जो सबसे अधिक सुन्दर है। उसका बाराण्डा २४४७ फीट का है । अनन्त गुंफा भी बड़ी है और उसका बरामदा २७४ ८ फीट का है। बाघगुंफा बाघ के मुंह की तरह बनी है। गणेश गुंफा के बाहर हाथी खड़ा है जबकि सर्प गुंफा सर्प के मुंह का आकार बनाती है। नवमुनि आदि गुफाएं नवीन लगती
___ छोटे लेखों की दृष्टि से मांचीपुरी, सर्पगुंफा, बाघ गुंफा, बाघेश्वर गुंफा, तत्त्वगुंफा, अनन्तगुंफा, नवमुनिगुंफा, गणेशगुंफा आदि का विशेष महत्त्व है। मांचीपुरी गुफा में 'कलिग जिन' की पूजा के दृश्य बनें हैं । संभवतः खारवेल के परिवार के बहुत से लोग भी वहां चित्रित हैं। नवमुनिगुंफा में किसी 'उद्योतकेसरीदेव' राजा के लेख हैं और गणेश गुंफा में दूसरे किसी राजा श्री
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