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________________ Leave of the Sumati-tantra ३६ £995 20% oʻzlagan serachoong 10. He BAM ALDRINK BKPBBBBTVEREKEK DAGLE Jain Education International मा ०६ : शतविधिले यज्ञादित्य तनाव नाधिÖधक मानिसमाधा यामधवा ६६ (ENS प्रवमिवाया: ধ& লা7a8। मा घन # २. सन् १९२७ में दी पंजाब ओरियन्टल संस्कृत सीरिज नं. १६ से छपी प्रो० आर. सी. मजूमदार की पुस्तक "चंपा" में काम्बोज राजाओं के कतिपय लेख ओर उनके ब्लॉक छपे हैं। उन लेखों में शकपति संवत्सर प्रयुक्त है जो ब्रह्मा देश के राजा देवळ के ऐतमा संवत्सर से मेल खाता है । राजा देवळ का ऐतमा संवत्सर ब्रह्मा में प्रचलित कोक्ज़द संवत्सर के ८६४० वर्ष पूरे होने पर उसे प्रयोगशून्य करके चालू किया गया । ८६४० वर्षों का विवरण यह है कि राजा ककुत्स्थ से राजा सगर तक ३४४६ वर्ष बीते और राजा सगर से राजा युधिष्ठिर तक २६६५ वर्ष जबकि राजा युधिष्ठिर और राजा देवळ में २५२६ वषों का अन्तर है । चंपा के एक लेख (सं. ७२० ) में लिखा है -- "पंचसहस्रन व शतैकादशे विगत कलङ्क द्वापर वर्षे श्री विचित्र सगर संस्थापित श्री मुखलिङ्ग देवः । " - कि राजा सगर ने शक संवत् ७२० से ५६११ वर्ष पूर्व श्री मुखलिङ्ग देव की स्थापना की थी । ये वर्ष ५६११-७२० :---! - ५१६१ वर्ष, २५२६+ २६६५ वर्ष ही हैं । राजा युधिष्ठिर और शक राजा में २५२६ वर्षों का अन्तर वृद्धगगं के हवाले से वराहमिहिर ने अपनी वृहत्संहिता ( १३. ३. ) में भी दिया हैआसन मघासु मुनयः शासति पृथ्वीं युधिष्ठिर नृपतौ । षट् द्विक पंच हि युतः शक कालः तस्य राज्ञश्च ॥ ३. दी इन्साइक्लोपीडिया ऑफ ब्रिटेनिका, मौवां संस्करण, भाग २१ ( पृष्ठ८५४ ) में भी एक संवत्सर का विवरण है जो स्याम देश में प्रचलित था और “पुत्त सकरात संवत्सर" कहा जाता था। यह तुलसी प्रशा For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524562
Book TitleTulsi Prajna 1990 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size4 MB
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