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________________ मर्यादा महोत्सव विशिष्ट उपलब्धि साध्वी श्री संघमित्रा मर्यादा.महोत्सव तेरापंथ धर्मसंघ की सुदृढ़ नींव है । यह महोत्सव प्रतिवर्ष माघ शुक्ला सप्तमी के दिन मनाया जाता है । इस समय पर सैकड़ों साधु-साध्वियों की उपस्थिति, आचार्यप्रवर का महान प्रेरक सान्निध्य, परस्पर विचारों का विनिमय, चिन्तन-मननपूर्वक आचार्य देव द्वारा अनेक नये निर्णयों की घोषणा, एवं अग्रिमवर्ष के लिये चातुर्मासों की नियुक्ति आदि आकर्षण के मुख्य केन्द्र बने रहते हैं । यह मर्यादा महोत्सव धर्मसंघ के लिये विविध उपलब्धियों का महोत्सव होता है । इस बा का यह महोत्सव राजलदेसर में सम्पन्न हुआ था । मर्यादा महोत्सव के दिन मध्याह्न के समय मर्यादा - पत्र वाचन के बाद चतुर्विध संघ के बीच आचार्य देव ने एक अनुपम ऐतिहासिक निर्णय लिया था । आचार्य के कन्धों पर अनेक प्रकार के महत्त्वपूर्ण दायित्व होते हैं । उनमें सबसे महत्त्वपूर्ण दायित्व भावी आचार्य का नाम घोषित कर देना है। आचार्य द्वारा किये गये इस निर्णय से सारा संघ चिन्ता-विमुक्त हो जाता है । इस निर्णय में आचार्य को अत्यन्त सतर्कता से काम करना पड़ता है। संघ हित की दृष्टि से योग्य व्यक्ति का निष्पक्ष निर्णय आवश्यक है | योग्य व्यक्ति की संघ में उपलब्धि न होने पर आचार्य के सामने संकटपूर्ण प्रश्न उपस्थित हो जाता है । वीर निर्वाण की द्वितीय शताब्दी में आचार्य प्रभव के सामने यही प्रश्न अत्यन्त जटिल बन गया था । आचार्य प्रभव वृद्धावस्था में थे-- एक दिन उन्होंने अपने उत्तराधिकारी के विषय में चिन्तन किया। पूरे जैन समाज में संघ दायित्व निर्वहणार्थ कोई भी व्यक्ति उनकी दृष्टि में नहीं था। ब्राह्मण समाज में से उद्भट विद्वान्, नेतृत्व - कला कुशल शय्यंभव को उद्बोधन देकर आचार्य प्रभव ने उन्हें श्रमण दीक्षा दी एवं आचार्यपद का दायित्व सौंपा था। आर्यरक्षित के सामने भी आचार्य पद को लेकर गम्भीर स्थिति पैदा हो गई थी । आर्यरक्षित दुर्बलिका पुष्यमित्र को अपना उत्तराधिकार सौंप रहे थे । संघ के कुछ सदस्य आर्य फल्गुरक्षित एवं गोष्ठामाहिल के पक्ष में थे । फल्गुरक्षित आर्यरक्षित के लघु-भ्राता और गोष्ठामाहिल शास्त्रार्थ - निपुण महान् विद्वान् श्रमण । आर्यरक्षित ने घृत, तेल, उड़दकणों भृत कलशय का दृष्टान्त दिया और कहा - "आर्य दुर्बलिका पुष्यमित्र मेरी ज्ञान राशि खण्ड ४, अंक ७-८ से ३६६
SR No.524517
Book TitleTulsi Prajna 1979 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1979
Total Pages246
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size12 MB
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