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आज करें किसका अभिनन्दन ?
—साध्वी मोहनकुमारी (श्री डूंगरगढ़)
आज करें किसका अभिनन्दन ? एक ओर वह कलाकार है जिसने कृति का रूप संवारा अपने श्रम से अपने क्रम से जिसका अन्तर्बाह्य निखारा अग-जग करता उसको वन्दन
आज करें किसका अभिनन्दन ? करुणा की महनीय मूर्ति-सी अनुपमेय कृति अपर ओर है जिसे देखकर अमरों के भी अन्तस् में उठती हिलोर है झुक झुक कर करते अभिवन्दन
आज करें किसका अभिनन्दन ? अमर रहें आचार्य हमारे युवाचार्य नयनों के तारे बढ़े साधना के पथ पर हम पाकर शुभ संकेत तुम्हारे रहे प्रफुल्लित गण-वन-नन्दन
आज करें किसका अभिनन्दन ?
तुलसी-प्रज्ञा