SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 84
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अध्यात्म के प्रेरणा-स्रोत : युवाचार्य महाप्रज्ञ ___ मुनि श्री विमलकुमार विक्रम संवत् २०२२ का मर्यादा महोत्सव हिसार में था। गुरुदेव ने मुझे बहिविहरण के लिए मुनि श्री शुभकरण जी के साथ मध्यप्रदेश तथा उड़ीसा की ओर भेजा । उसके पूर्व मैं दीक्षा के कुछ महिनों के बाद से युवाचार्य महाप्रज्ञ (मुनि श्री नथमल जी) के पास में रह रहा था । युवाचार्य श्री की वात्सल्यमयी प्रेरणा मेरे जीवन-निर्माण में सहायक बनी। मेरी आन्तरिक इच्छा न होते हुए भी गुरुदेव ने मुझे बहिबिहार का आदेश दिया। उस समय मेरा मन खिन्न हो रहा था । विदा होते समय युवाचार्य श्री ने मुझे एक पत्र लिखकर दिया जो युवाचार्य श्री के अभ्यन्तर व्यक्तित्व का परिचायक है । पत्र इस प्रकार है २०२२ फाल्गुन शुक्ला १० मुनि विमलकुमार, जीवन के प्रति हमारा दृष्टिकोण आध्यात्मिक होना चाहिए। आध्यात्मिकता का अर्थ है अपनी तुला से अपने आप को तोलना, अपने मान-दण्ड से अपने आपको मापना । अध्यात्म के मूल सूत्र हैं--- १-अपने आप में सतत प्रसन्न रहना । शक्ति, आनन्द और प्रकाश का विशिष्ट अनुभव करना। २-सेवा और समर्पण-सबके प्रति आत्मीयता की अनुभूति । ३.-सुख-दुःख के प्रति समभाव का अभ्यास । ४-सहिष्णुता का अभ्यास । ५-~-अप्रियता को अपने आनंद में विलीन करना। ६-विनय । ७--शान्त सहवास। तुम मेरे पास रहे हो, मेरे निकट सहवास में रहे हो, इसलिए मैं चाहता हूं कि तुम अधिक से अधिक आध्यात्मिक बने रहोगे । इस दिशा में अधिकाधिक विकास करोगे । निकाय सचिव मुनि नथमल' यथार्थतः ऐसे वाक्य वही व्यक्ति लिख सकता है, जिसका जीवन अध्यात्म से ओत प्रोत हो। आध्यात्मिक व्यक्ति हर स्थिति में अपने आप में प्रसन्न रहता है। आध्यात्मिकता ही प्रगति का मूल है । उसके अभाव में बाह्य प्रगति अधिक टिक नहीं सकती। युवाचार्य श्री के विकास की पृष्ठभूमि आध्यात्मिकता ही है । आप जैसे आध्यात्मिक, दार्शनिक, साहित्यकार, वक्ता, लेखक, युवाचार्य को प्राप्त कर हमारा सारा धर्म-संघ प्रमुदित है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपके शासनकाल में हमारा धर्म-संघ आध्यात्मिक तथा शैक्षणिक दिशा में और अधिक विकास करेगा । १. हिसार मर्यादा महोत्सव पर आचार्य श्री ने मुनि श्री को 'निकाय सचिव' उपाधि से अलंकृत किया था। ३८४ तुलसी-प्रज्ञा
SR No.524517
Book TitleTulsi Prajna 1979 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1979
Total Pages246
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy