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________________ युवाचार्य की जय हो * मुनि श्री रवीन्द्रकुमार जी ( लय- संयममय जीवन हो ) युवाचार्य की जय हो, महाप्रज्ञ की जय हो । ज्योतिर्मय भैक्षव - शासन की जय हो, सदा विजय हो । युवा० ॥ युगप्रधान अणुव्रत अनुशास्ता के हम सब आभारी । पाकर इनसे विश्व प्रेरणा अविरल बने अभय हो || १ || महाप्रज्ञ के अथ से इति तक तुम जीवन-निर्माता । हुए धन्य ये पाकर तुमको तुम ही भाग्य-विधाता ॥ युवाचार्य तसवीर तुम्हारी जग में ध्रुव उपनय हो ||२|| महा दार्शनिक लेखक वक्ता उच्चकोटि के ज्ञानी । गुरु चरणों में पूर्ण समर्पित आगम- अनुसंधानी ॥ विश्व भारती तुम से उपचित, अक्षय सौरभमय हो ||३|| मंगल-गीत सुनाएँ । प्रेरणा पाएँ । संयममय हो ॥४॥ वाराणसी की हम महिलाए युगों युगों तक युवाचार्य से गुरु इंगित पर बढ़ते जाएँ खण्ड ४, अंक ७-८ सतत जीवन * युवाचार्य श्री महाप्रज्ञ के अभिनन्दन में वारणसी महिला मंडल द्वारा समुच्चरित गीतिका । ३८३
SR No.524517
Book TitleTulsi Prajna 1979 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1979
Total Pages246
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size12 MB
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