________________
आज मैं देखता हूँ कि वे मेरे से और भी अधिक बड़े हो गए हैं। वे सारे संघ के शीर्षस्थ व्यक्ति बन गए हैं। इतने दिन वे मेरे एक सहृदय साथी थे। अब आराध्य बन गए हैं। समय-समय पर हम में मतभेद भी रहा है पर वह सब तो दो मित्रों की स्थिति थी। अब वे हमारे धर्मसंघ के शिरोमणि बन गए हैं । मैं उन्हें इस गौरवास्पद पद की प्राप्ति के अवसर पर मेरी ओर से एवं समग्र श्रमण समाज की ओर से बधाई देता हूं और आशा करता हूं कि वे सारे संघ की आशाओं और कल्पनाओं के अनुरूप अपने दायित्व को निभाएगे।"
जुड़ी कड़ी इतिहास की
-मुनि नवरत्नमल
जुड़ी कड़ी इतिहास की, नई एक फिर आज । तुलसी प्रभु ने दे दिया, विधिवत् पद युवराज ॥१॥
भैक्षव-शासन की रही, स्वस्थ प्रणाली एक । मर्यादोत्सव समय में, ली आँखों से देख ॥२॥
बांसो दिल सब संघ के, (वा) लगे उछलने बांस । देख नये इतिहास को, बढ़ा अमित उल्लास ॥३॥
दिया 'महाश्रमणी' पदक, किया अधिक सम्मान । बनता व्यक्ति महान् वह, जिधर तुम्हारा ध्यान ॥४॥
युग-युग तक आता रहे, मर्यादोत्सव नये-नये उन्मेष से, रहे मनाते
पर्व । सर्व ॥५॥
छह सौ चौरासी सभी, तुलसी युग के रत्न । छह सौ चौरासी अभी, तुलसी युग में रत्न ॥६॥
३७८
तुलसी-प्रज्ञा