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________________ आचार्यश्री तुलसी के उत्तराधिकारी : युवाचार्य का अभिनन्दन प्रो० वलसुख भाई मालवणिया मुनि श्री नथमल जी का मेरा परिचय बहुत पुराना है । हमने वाद-विवाद भी किया है । इन प्रसंगों में आपका वर्ताव विद्वान् जनोचित और अद्वितीय था । मैंने आपको सदा प्रसन्न ही देखा है । विनम्रता और गुरु के प्रति समर्पण भाव – ये दो आपकी उत्कृष्ट विशेषताएं हैं । आपको गुरु भी ऐसे उपलब्ध हुए हैं, जिन्होंने आपको स्व-चिन्ता मुक्त किया है । यदि गुरु सारी चिन्ताओं का भार ढोने की स्वीकृति दे देते हैं, तो भला कोई क्यों अपनी चिन्ता करेगा ? ऐसी परिस्थिति में आपने जो विकास साधा है, वह अपूर्व है, ऐसा कहा जा सकता है । गुरु क्या किया और मैंने क्या किया, इस भेद की अनुभूति आपको कभी नहीं हुई । गुरु-शिष्य की ऐसी अभेद भूमिका आज के आधुनिक युग में विरल है । यदि इस अभेद भूमिका का साक्षात्कार करना हो, तो वह आचार्य तुलसी और उनके ये शिष्य मुनि श्री नथमल जी में किया जा सकता है । विद्वत्ता के साथ विनम्रता का योग भाग्य से ही प्राप्त हो सकता है । विद्वत्ता और विनम्रता की पराकाष्ठा मुनि नथमल जी में है, यदि मैं यह कहूं तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी । जैन संघ में संयम की साधना विविध प्रकार से होती है । किन्तु इस साधना में जो ध्यान-साधना की कमी थी और जो प्रायः विस्मृत हो चुकी थी, उसका पुनरुत्थान मुनि श्री नथमल जी ने किया है । मैंने स्वयं देखा है कि इस साधना के कारण अनेक जैन और अजैन युवकों को धर्माभिमुख करने का श्रेय भी आपने प्राप्त किया है । आपने प्रेक्षा ध्यान की पद्धति को विकसित किया है । आपने योग में स्वयं निष्णातता प्राप्त की और योग की समग्र भारतीय पद्धतियों से परिचित हो कर प्रेक्षा ध्यान पद्धति का प्रसार किया है। इसमें समग्र मारतीय योग-साधना के तत्त्वों का समन्वय करने का प्रयत्न किया गया है । परम्परा से सर्वथा अलग-अलग पड़ कर नहीं, किन्तु परम्परा में आवश्यक परिवर्तन कर आपने जो ध्यान पद्धति का निरूपण और प्रयोग किया है, यह नई होने पर भी परम्परा से सर्वथा मुक्त नहीं है - यह आपकी ध्यान-पद्धति की मुख्य विशेषता है और यह विशेषता आपकी उत्कृष्ट विद्वत्ता और साधना के कारण है, ऐसा मानना चाहिए । खण्ड ४, अंक ७-८ ३४ε
SR No.524517
Book TitleTulsi Prajna 1979 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1979
Total Pages246
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size12 MB
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