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श्रमणी परिवार द्वारा समर्पित
अभिनन्दन पत्र विश्वदीप ! - तुमने एक ऐसी निष्कम्प दीप-शिखा को प्रज्वलित किया है जो हमारी गौरवशाली परंपरा के आर और पार को सदियों, सहस्राब्दियों तक उद्भासित करती रहेगी। इसलिए हम तुम्हारा अभिनंदन करती हैं।
तुमने एक ऐसे ऊर्जा-पुञ्ज को जन्म दिया है जो मनुष्य के अन्तस में छिपी लक्ष-लक्ष जीवनी शक्तियों को युग-युग तक उद्घाटित करता रहेगा। इसलिए हम तुम्हारा अभिनन्दन करती हैं। आर्षप्राज्ञ !
तुम ने एक ऐसी विभूति को जन्म दिया है जिसका आधार है रचनात्मक प्रतिभा । अमूर्त सत्य के अन्वेषण की प्रतीक वह प्रतिभा युग-युग से आवृत सत्यों का अनावरण करेगी।
उस पारदर्शी प्रतिभा की एक-एक रश्मि से प्रस्फुरित होगा तुम्हारा व्यक्तित्व तुम्हारा कर्तृत्व और तुम्हारा नेतृत्व । इसलिए हम तुम्हारा अभिनंदन करती हैं। कुशल अनशास्ता!
तुम ने तेरापंथ धर्मसंघ के एक सौ पन्द्रहवें मर्यादा महोत्सव के पुनीत अवसर पर अपने सुयोग्य उत्तराधिकारी का निर्वाचन कर संघ को कृतार्थ किया है, जिसमें सन्निहित है अतीत का गौरव, वर्तमान का समाधान और भविष्य की उज्ज्वल सम्भावनाएं, इसलिए हम तुम्हारा अभिनंदन करती हैं।
___ अन्तःकरण की समस्त सुकोमल भावनाएं समर्पित करती हैं आचार्य चरण में, युवाचार्य चरण में। अप्रतिम कलाकार, तुम्हें नमस्कार
तुम्हारी कृति को नमस्कार, जिसमें तुम स्वयं साकार । पा तुम दोनों का आधार । दृढ़ दृढ़तर, दृढ़तम बन जाएगा।
गण उपवन का प्राकार। तुम्हारे निर्णय का चमत्कार,
तुम्हारी शक्ति, तुम्हारी युक्ति, तुम्हारी नियुक्ति में
सौ-सौ बार बधाई देगा समूचा संसार । तुम्हें नमस्कार, तुम्हारी कृति को नमस्कार,
अनुकृति को नमस्कार
करता शत-शत श्रमणा परिवार । ___ *यह अभिनन्दन पत्र आचार्य श्री को संबोधित कर लिखा गया है अतः साध्वी प्रमुखा महाश्रमणी श्री कनकप्रभा जी ने इसे आचार्य श्री के हाथों में समर्पित किया । आचार्य श्री ने इसे युवाचार्य श्री को दिया।
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तुलसी प्रज्ञा