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श्रमण परिवार द्वारा समर्पित
अभिनन्दन पत्र* महामहिम युवाचार्य !
तेरापंथ धर्मसंघ के क्रान्तद्रष्टा युगप्रवान आचार्य श्री तुलसी द्वरा अपने उत्तराधिकारी के रूप में आप श्री का चयन समग्र धर्म-संघ के लिए गौरव का सूचक है आप जैसा प्रज्ञाशाली युवाचार्य को पाकर हम सब गौरवान्वित हुए हैं। महान् दार्शनिक !
___ आपके दार्शनिक स्वरूप ने सत्य के अनेक कोणों का उद्घाटन कर विश्व के वैचारिक क्षेत्र में एक नई संभावना को जन्म दिया है। आपके अध्यात्म-अनुस्यूत दर्शन एवं साहित्य की कृतियों ने धर्म-संघ को विश्व मंच पर आरूढ होने का अवसर प्रदान किया है। . प्रेक्षा-ध्यान के पुरस्कर्ता!
अध्यात्म जगत के ज्योतिपुञ्ज भगवान महावीर की ध्यान-परम्परा के विलुप्त रहस्यों का अन्वेषण कर आपने अध्यात्म परंपरा को नव जीवन देते हुए प्रेक्षाध्यान की वैज्ञानिक पद्धति को प्रस्तुत किया। इससे जैन समाज ही नहीं, अपितु समग्न विश्व आशाआप्लावित हुआ है। आगम-वारिधि !
युगप्रधान आचार्य श्री तुलसी के वाचना-प्रमुखत्व में आपने आगम-मंथन के महान् कार्य का जिस कौशल से वहन किया वह आगम इतिहास की एक नई देन बन गया है । जैन धर्म के रहस्यों का अन्वेषण करने वाले विश्व के मनीषी निःशंसय इससे लाभान्वित होंगे । आशाओं के दीप!
ज्योतिःपुञ्ज आचार्य श्री तुलसी आपको युवाचार्य बनाकर तेरापंथ धर्म-संघ की गौरवशाली परंपरा की जो अग्रिम कड़ी जोड़ी है उसने हमारी आज्ञाओं और उल्लासों के दीप प्रज्ज्वलित कर दिए हैं । आप श्री उनमें निरन्तर स्नेह-दान करते रहेंगे, यही मंगल आशंसा है। महाप्रत !
आपका जीवन शिशु-सा सुन्दर, जल-सा पवित्र, भावक्रिया से उद्भासित चैतन्य का चित्र, महकते हुये गुलाब के फूलों-सा। . यह समर्पित है संघ द्वारा ".."
अभिनन्दन पत्र। २०३५ माघ शुक्ला ८
आपका विनयावनत राजलदेसर
तेरापंथ श्रमण संघ *[यह अभिनन्दन पत्र श्रमण वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हुए मुनि श्री बुद्धमल ने युवाचाचार्य श्री महाप्रज्ञ को समर्पित किया।
खण्ड ४, अंक ७-८
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