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इस पल का भी अभिनन्दन*
महाश्रमणी साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा
आज मुदित है संघ-चतुष्टय, कण-कण में छाया उल्लास । मनोनयन शुभ युवाचार्य का, नए सृजन का वह इतिहास ॥१॥ गणमाली ने निज हाथों से जिस पौधे को सींचा है। उसने भी ऊपर से नीचे तक पूरा रस खोंचा है ॥२॥ ज्योतिपूञ्ज आचार्यप्रवर से, ऊर्जा मिलती है पल-पल । युवाचार्य की ऊर्जाधारा, हुई प्रवाहित अब कल-कल ॥३॥ कलाकार के कुशल करों ने, जिस प्रतिमा को उत्केरा। आज उसी की अर्चा करने, उत्कंठित है मन मेरा ॥४॥ युवाचार्य आचार्यप्रवर का, युगल रहे युग-युग अविचल ।। जयघोषों से रहे निनादित, धारा और पूरा नभतल ॥५॥ सविनय साध्वी-संघ समूचा, करता हार्दिक अभिवन्दन । हर संकेत तुम्हारा प्राणों में भर दे अभिनव स्पन्दन ॥६॥ अभिनन्दन आचार्यप्रवर का, युवाचार्य का अभिनन्दन । धर्मसंघ का अभिनन्दन है, इस पल का भी अभिनन्दन ॥७॥
*युवाचार्य श्री महाप्रज्ञ के अभिनन्दन में साध्वीप्रमुखा श्री कनकप्रभा जी द्वारा पठित अभिनन्दन गीतिका।
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तुलसी प्रज्ञा