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उत्तराधिकार पत्र
अहम् ।। नमोत्थणं समणस्त भगवओ महावीरस्स ।। ॥ श्री भिक्षु भारिमाल ऋषिराय जयजस मघवा माणक डालचन्द
कालु गुरुभ्यो नमो नमः ॥ मैं आज तेरापन्थ धर्म संघ के ११५वें मर्यादा महोत्सव समारोह में अपने उत्तराधि- १ १ कारी के रूप में महाप्रज्ञ शिष्य मुनि नथमल को नियुक्त करता हूँ।
मुनि नथमल प्रारम्भ से ही मेरे प्रति समर्पित रहा है और अनिर्वचनीय आनन्द की अनुभूति करता रहा है । मेरा विश्वास है मुनि नथमल अपने दायित्व का समग्रता से निर्वाह है ६ करते हुए हमारे धर्म संघ को उत्तरोत्तर विकासोन्मुख बनाता रहेगा।
आचार्य तुलसी साक्ष्य : साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा
१ वि० सं० २०३५, माघ शुक्ला ७,
शनैश्चर, दिनमान ११।। बजे नाहर-भवन, राजलदेसर (राज.) ६३।२।१९७६
खण्ड ४, अंक ७-८