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नगरनिगम के सदस्यों द्वारा स्वागत व अभिनन्दन किया गया। युवाचार्यश्री महाप्रज्ञ जी ने, वर्तमान जीवन में तनाव से मुक्ति पर अपने दार्शनिक विचार रखे। जैन विश्व भारती की गतिविधियों, प्रवृत्तियों व कार्य प्रणालियों की विस्तृत जानकारी नीडम् के प्रतिनिधि द्वारा कराई गई। समारोह की उपस्थिति पांच सौ करीब थी। ११.३.७६ लाल किला .
___आचार्यप्रवर का सम्पूर्ण राष्ट्र के प्रतिनिधियों द्वारा हार्दिक नागरिक अभिनन्दन समारोह का आयोजन हुआ। सदरथाने से विशाल जुलूस शुरू हुआ । जुलूस का वही रूप, वही नारे, वही मौन, वही अनुशासन तीन किलोमीटर तक जुलूस, जिसमें सैकड़ों विद्यार्थी, सैकड़ों बालिकायें, सैंकड़ों रंग-बिरंगे परिधान में महिलायें व पुरुष थे, तो दूसरी ओर गुलाबी वस्त्रों में दिल्ली कन्या मण्डल, पीत साड़ी में महिला मंडल, श्वेत साड़ी में पारमार्थिक संस्था की बहन अपनी अनुपम छटा बिखेर रही थीं। दूसरी ओर बालमण्डल बिगुलनाद कर रहा था, तो युवकमण्डल जयघोष से आकाश को हिला रहा था। एक ओर श्रावक निर्धारित नारे लगा रहे थे तो दूसरी ओर श्राविकायें गितिकाओं से मानव चेतना एवं सेवाभाव की सीख दे रही थीं, बीच-बीच में शांत परन्तु एकाग्र चित्त लोग पूर्ण मौन का पालन करते हुए पंक्तिबद्ध स्व-अनुशासन से चल रहे थे।
यह आत्मानुशासन का जुलूस राजधानी के नागरिकों द्वारा प्रथम बार देखा गया, इतना लम्बा, पर कहीं कोई शोर-शराबा नहीं। नियमितता, व संयम के साथ आगे बढ़ते जुलूस ने ठीक १० बजे फहराते हुए तिरंगे के धनी लालकिले में प्रवेश किया । जहाँ पर ५ हजार नागरिकों द्वारा आचार्यप्रवर, युवाचार्यप्रवर, महाश्रमणी एवं संघ का नागरिक अभिनन्दन हुआ । अभिनन्दनकर्ताओं के प्रतिनिधि थे-लोकसभा अध्यक्ष श्री हेगड़े, उपमहापोर, बाला साहब देवरस सरसंघ संचालक, भू०पू० वित्तमंत्री श्री सी० सुब्रह्मण्यम्, उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति श्री ऊंटवालिया, केन्द्रीय वाणिज्य राज्यमंत्री श्री आरिफ बेग, नगर परिषद के सदस्य, राजधानी के उच्चतम राज्याधिकारी, पत्रकार, साहित्यकार, वैज्ञानिक, एवं भारत के गणमान्य उद्योगपत्ति, मजदूर, विद्यार्थी, डाक्टर, लेखक सभी तबके के लोग व उनके प्रतिनिधि उपस्थित थे । अभिनन्दन कार्यक्रम ३ घण्टे तक चला। प्रारम्भ मंगलाचरण से हुआ, जिसे पारमार्थिक शिक्षण संस्था की बहनों ने किया।
__ वक्ताओं के पश्चात् मुनिश्री रूपचन्द जी, महाश्रमणी व मुख्य प्रवचनकर्ता युवाचार्य श्री महाप्रज्ञ जी थे। महाश्रमणी ने जीवन को सरल व सादगीमय तथा विनम्र बनाने हेतु, बहनों को आह्वान किया । युवाचार्यश्री ने वर्तमान संसार में बढ़ रहे तनाव और तनाव पूर्ण वातावरण तथा अशाँत एवं निराशामय जीवन से छुटकारा पाने हेतु अणुव्रत एवं मानसिक शांति के साधन प्रेक्षाध्यान की जानकारी बड़े ही सटीक तर्क बिन्दुओं से रखी । इनके वैज्ञानिक आधार को स्पष्ट करते हुए दर्शन से जीवन को जोड़ा तथा 'जीवन विज्ञान' की शिक्षा व जानकारी के अभाव को स्पष्ट किया। युवाचार्यश्री के प्रवचन ने सभी में एक खलबली मचा दी । सभी को सोचने को मजबूर कर दिया।
आचार्यप्रवर ने देश में फैल रही, हिंसा, अत्याचार, चौरबाजारी, मिलावट, गन्दी राजनीति, शराब, रूढिवादितायें, धर्मान्धता, झूठ, फरेब, बेईमानी अशांत वातावरण
खण्ड ४, अंक ७-८