SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 192
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दी। मुनिश्री चौथमल जी के द्वारा गीत प्रस्तुत किये गये। नीडम् प्रतिनिधि ने जैन विश्व भारती की प्रवृत्तियों की जानकारी देते हुये प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लेने, हेतु जैन विश्व भारती लाडनू से सम्पर्क करने का निवेदन किया, तथाजैन विश्व भारती आने का निमंत्रण दिया। रोहतक में लगभग १ हजार स्त्री-पुरुषों द्वारा गुरुदेव के दर्शन प्रवचन का लाभ उठाया गया। ६.३-७६ कल्हावड़ सायंकालीन संगोष्ठी में सर्वप्रथम कैसट सैट सुनाया गया। तत्पश्चात् मुनिश्री किसनलाल जी ने अपने विचार व्यक्त किये । तत्पश्चात् आचार्यप्रवर ने मंगल प्रवचन किया । लगभग २०० स्त्री-पुरुषों ने प्रवचनामृत पान किया। ७-३-७६ रोहद स्थानीय ग्रामीण जनता की एक विशाल सभा का आयोजन नीडम् द्वारा किया गया । जिसमें व्यसन-मुक्ति, संयम जीवन, चारित्रिक उत्थान पर संतों द्वारा एवं आचार्यप्रवर द्वारा विचार व्यक्त किये गये । करीब १०० स्त्री-पुरुष उपस्थित थे। ८.३-७६ बहादुरगढ़ सायंकालीन कार्यक्रम में आचार्यप्रवर ने अपने आशीर्वचन में बताया कि इस व्यावसायिक व इण्डस्ट्रियल नगरी में आप सभी लोगों के द्वारा जो भी वस्तु निर्मित की जाती है, उसकी प्रामाणिकता की छाप होनी चाहिए। आप लोगों के हाथ में देश में प्रामाणिकता के प्रसार का एक बहुत बड़ा साधन है । युवाचार्यश्री ने हिन्दुस्तान सेनेटरी क्लब में प्रवचन किया। ६-३-७९ नांगलोई- आचार्यप्रवर का दिल्ली की ओर से दिल्ली सीमा पर हार्दिक स्वागत मुनिश्री रूपचन्द जी द्वारा, नांगलोई नगर निगम विद्यालय में हार्दिक अभिनन्दनः पत्रकार, राजनीतिज्ञ, नगरनिगम के सदस्य गणमान्य नागरिकों के द्वारा स्वागत कार्य सम्पन्न हुआ। आचार्यप्रवर द्वारा दिल्ली आगमन का उद्देश्य स्पष्ट किया गया। लोगों की भावनाओं का और अभिनन्दन पत्र का प्रत्युत्तर देते हुए उन्होंने बताया कि जीवन के प्रत्येक कार्य को आप संयमपूर्वक करें। आप अपने आपको सुधारें। आपका दैनिक व्यवहार सुधारें तो समाज व देश का बहुत बड़ा कार्य होगा । इस अवसर पर लगभग सैकड़ों स्त्री-पुरुषों ने गुरु दर्शन किए। जिंदल स्कूल (पंजाबी बाग) में रात्रि विश्राम किया । तथा प्रातः सदरथाना हेतु प्रस्थान किया। १०.३-७६ सदरथाना प्रातः, मध्याह्न एवं सायंकाल कार्यक्रम चला, अनेकानेक संभ्रान्त नागरिक, विद्वान , विदुषियों, राजनीतिज्ञों ने भाग लिया। रात्रि कालीन कार्यक्रम में सदरथाना के नागरिकों, ४६२ तुलसी प्रज्ञा
SR No.524517
Book TitleTulsi Prajna 1979 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1979
Total Pages246
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy