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प्रत्येक कार्यक्रम में नीडम् के प्रतिनिधि द्वारा जैन विश्व भारती का पूर्ण परिचय - प्रत्येक प्रवृत्ति सेवा, शिक्षा, शोध, साधना जैन, विद्या पत्राचार पाठ्यक्रम, ब्राह्मी विद्यापीठ, ग्रन्थागार, पारमार्थिक शिक्षा संस्थान, प्रेक्षा, तुलसी प्रज्ञा, महाप्रज्ञ जी के प्रवचन कैसट, जैन विश्व भारती का वर्तमान और भावी रूप आदि पर विस्तार से जानकारी कराई गई, साहित्य - वितरण किया गया ।
युवाचार्य महाप्रज्ञ जी एवं आचार्यप्रवर के द्वारा अपने प्रत्येक प्रवचनों में किसी न किसी रूप में प्रेक्षाध्यान, अणुव्रत एवं जैन विश्व भारती का उल्लेख किया गया, तथा नीडम् के प्रतिनिधि द्वारा रखी गई प्रेक्षा-केन्द्र प्रायोजना पर चिन्तन करने हेतु कहा गया । प्रेक्षा- ध्यान शिविर दिल्ली के लिए भी नीडम् के प्रतिनिधि द्वारा पूर्व जानकारी दी गई । आचार्यश्री के इस प्रवासकाल में लगभग तीन हजार स्त्री-पुरुषों ने दर्शन का
लाभ उठाया ।
३- ३-७६ बामला - खरक
रात्रि में टैप सुनाकर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें स्थानीय एवं दर्शनार्थियों की लगभग ५०० की संख्या रही। दिल्ली यात्रा में व्यसन मुक्ति, चरित्र-निर्माण आदि की जानकारी कराई गई ।
४- ३-७६ कलानोर- लाली
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एक विशाल ग्रामीण सभा को सम्बोधित करते हुए युवाचार्यश्री ने बढ़ती हिंसा फैलती, अनुशासनहीनता एवं अनाचार, अत्याचार व अनैतिकता तथा अप्रमाणिकता पर अपने सुस्पट विचार रखे। आचार्यप्रवर के मंगल प्रवचन के पूर्व कैसट सुनाया गया तथा उसी पर अपनी टिप्पणी व्यक्त करते हुए उन्होंने लोगों को आगाह किया कि अभी भी समय है जब आप लोग वर्तमान के लिये कुछ कर सकते हो ।
५-३-७६ रोहतक ----
एस० के० जैन मोटर कम्पनी, रामलीला मैदान बस स्टेण्ड पर प्रातः १० बजे आचार्यश्री का स्वागत किया गया। दिन भर वहाँ पर विराजे । स्वागत कार्यक्रम २ घण्टे चला तथा इसमें प्रबुद्ध लोगों ने विचार व्यक्त किये। वहीं पर महाश्रमणी जी ने भी अपने विचार नारी उत्थान हेतु रखे । युवाचार्य श्री महाप्रज्ञ जी ने देश में नैतिक जागरण व तनावमुक्ति पर अपने सतर्क विचार रक्खे तथा प्रज्ञाप्रदीप साधना विभाग जैन विश्व भारती द्वारा इस ओर किये जा रहे प्रयासों का संकेत किया । नीडम् के प्रतिनिधि ने तब प्रेक्षाध्यान शिविर, की जानकारी कराई आचार्यप्रवर ने मंगल सन्देश दिया तथा सायं ५ बजे पधार कर रोहतक शहर जैन धर्मशाला रात्रि प्रवास किया। जहाँ पर सायंकालीन प्रवचन कार्यक्रम चला ।
मुनिश्री किसनलाल जी ने प्रेक्षा क्या है ? तनावमुक्ति हेतु इसका प्रयोग कैसे या कब किया जा सकता है ? सीखने हेतु मार्गदर्शन कहाँ से प्राप्त करें ? आदि की विस्तृत जानकारी
खण्ड ४, अंक ७-८
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