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________________ परिचय कराया गया। सभा का आयोजन नीडम् एवं भारतीय संस्कार निर्माण समिति ने मिलकर किया। २६-२-७६, २७-२-७६ दुराला, लेघा, लुहानी लुहानी में रात्रि में सभा का आयोजन नीडम् के कार्यकर्ता द्वारा आयोजित कराया गया। आचार्यप्रवर द्वारा विशेष शांति के लिए हमें किस प्रकार से प्रयत्न करने चाहिए' पर विचार व्यक्त किए गये। भारतीय संस्कार निर्माण समिति के द्वारा प्रदर्शनी एवं चित्रपट्ट प्रदर्शन का आयोजन रखा गया। २८-२-७६ अनाजमण्डी (भिवानी) आज प्रातःकाल अनाजमण्डी में सम्भ्रान्त व्यापारिक मण्डल अनाजमण्डी भिवानी एवं अनेक नागरिक बन्धुओं द्वारा आचार्यप्रवर का भावभीना स्वागत किया गया । सायंकाल एक सभा को सम्बोधित करते हुये आचार्य प्रवर ने प्रेक्षाध्यान शिविर के आयोजन के बारे में जानकारी कराते हुये मानव समाज में फैल रही बुराइयों, व्यसनों, रागद्वेष, भुट फरेब, चोरी, बेईमानी, मिलावट, कमतौल, कम माप से बचने के लिए कहा "आप लोगों को मैं तो तभी सच्चा व्यापारी मानूगा।' आचार्यप्रवर व युवाचार्यप्रवर का इस अवसर पर अनाज मण्डी के व्यापार मण्डल द्वारा अभिनन्दन किया गया तथा स्थानीय कवियों द्वारा कविता पाठ करके उपस्थित जनसमुदाय का साहित्यिक मनोरंजन किया गया । भारतीय संस्कार निर्माण समिति द्वारा प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। १-३-७६ से ३-३-७६ भिधानी ___ भिवानी अनाज मण्डी से जुलूस का स्वरूप बना। शाँत, मौन एवं अनुशासित, आचार्यप्रवर का जुलूम ठीक ८ बजे प्रारम्भ होकर १०-३० बजे भिवानी शहर में पहुंचा। रास्ते में वही जयघोष थे, चारों ओर हर्षोल्लास था । दर्शनार्थी उमड़ पड़ रहे थे । आचार्गप्रवर, युवाचार्य महाप्रज्ञ जी व महाश्रमणी कनकप्रभा जी का हार्दिक नागरिक अभिनन्दन तेरापंथ सभा, युवकसभा, महिलामण्डल भिवानी, के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में जहाँ राज्य के सर्वोच अधिकारियों ने भाग लिया वहाँ दूसरी ओर प्रबुद्ध साहित्यकार एवं लगभग सभी गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। पाण्डाल छोटा पड़ गया। साईड की कनातें हटानी पड़ी । भिवानी में एक संत का इतना विशाल कार्यक्रम इससे पूर्व नहीं हुआ। लगभग १ हजार स्त्री-पुरुषों ने महाश्रमणी, युवाचार्य जी व आचार्यप्रवर जी की अमृतमयवाणी का पान किया। यहाँ तीन दिन तक आचार्यप्रवर विराजे तथा कार्यक्रम प्रातः, मध्याह्न व सायंकाल तीनों ही दिन लगातार चलते रहे, जिनमें मुख्य आकर्षण रहा–युवक परिषद -अभिनन्दनकार्यक्रम, अणुव्रत सम्मेलन, बौद्धिक गोष्ठी, पत्रकार गोष्ठी, श्रावक सम्मेलन आदि । यहाँ के ४६० तुलसी प्रज्ञा
SR No.524517
Book TitleTulsi Prajna 1979 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1979
Total Pages246
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size12 MB
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