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आदि पर प्रहार किया। आगे उन्होंने कहा- चारों ओर हिंसा का साम्राज्य फैल रहा है, मानव-मानव को त्रास दे रहा है। ऐसे अशांत वातावरण का कारण क्या है ? हमें उसके कारणों को नष्ट करना है। तभी संसार इन्सानियत का, मानवता का, सच्चा प्रसार हो सकेगा। हमने देखा है कि अगर हम हमारे जीवन के प्रत्येक कार्य को संयम से जोड़ ले तो कुछ राहत मिल सकती है। छोटे-छोटे नियम इस कार्य के लिये हमने बनाये जिन्हें अणुव्रत कहते हैं। जिसमें विद्यार्थी, सेवक, व्यापारी, राज्य कर्मचारी, श्रमिक, कृषक, नागरिक, महिला, कार्यकर्ता, साहित्यकार, कलाकार, मतदाता, उम्मीदवार, विधायक आदि सभी के लिए कुछ छोटे-छोटे नियम हैं । हमारा विश्वास है कि अगर इनका पालन हो तो, प्रत्येक व्यक्ति को लाभ हो सकता है।
"सामान्य अणुव्रत देखिये.-संकल्पपूर्वक वध नहीं करूगा, किसी पर आक्रमण नहीं करूंगा और आक्रमक नीति का समर्थन नहीं करूंगा, हिंसात्मक उपद्रवों एवं तोड़-फोड़ मूलक प्रवृत्तियों में भाग न लूगा। जाति, वर्ण, ऊँच-नीच को लेकर अस्पृश्यता नहीं रखूगा। सब धर्मों व सम्प्रदायों के प्रति सहिष्णुता का भाव रखूगा । व्यवसाय और व्यवहार में सत्य की साधना करूँगा। मादक और नसीले पदार्थों का सेवन नहीं करूँगा आदिआदि ।
___ “ऐसे जीवनोपयोगी छोटे-छोटे नियम हैं। दूसरी ओर तनाव मुक्ति के लिए तीस वर्षों की अथक तपःसाधना से प्राप्त हमारे महाप्रज्ञ जी ने मानव जीवन उत्थान हेतु एक विधि दी है और मैं निश्चयपूर्वक कह रहा हूँ सभी लोग, बुद्धिजीवी, राजनेता, डाक्टर, वैज्ञानिक, वकील, व्यापारी, मजदूर, मध्यम वर्ग कोई भी तबके का हो और जो मानसिक शांति चाहता हो, तनावमुक्ति चाहता हो, इस विधि का प्रयोग करें, उसे निश्चय ही लाभ होगा। आपके दिल्ली में इस समय आने का हमारा एक यह भी लक्ष्य रहा है और अध्यात्म साधाा केन्द्र छतरपुर महरौली में १८ मार्च से २७ मार्च तक प्रेक्षाध्यान शिविर का आयोजन किया जा रहा है । जो मैं यहाँ कह रहा हूं उसे आप वहाँ पर सत्यरूप में पा सकते हैं। जो भी चाहे वहाँ प्रयोग करके देखें । हम इस निश्चय से आगे बढ़ रहे हैं कि निश्चित ही हम हमारे उद्देश्य मानवता के प्रसार में आगे बढ़ेंगे ।
आचार्यप्रवर यहीं से दरियागंज विराजकर सायंकाल अणुव्रत विहार में पदार्पण किया । ११.३.७६ से १७-३-७६ अणुवत विहार .
आचार्यप्रवर, युवाचार्यश्री साध्वीप्रमुखा जी तथा सभी संतसतियाँ यहाँ विराजित रहे। प्रातः, सायं, रात्रि में यहाँ पर सैकड़ों व्यक्तियों ने प्रवचन एवं दर्शन, आदि का लाभ प्राप्त किया। इन दिनों में आचार्यप्रवर के दर्शन लाभ लेने वालों में भारत के बड़े-बड़े राजनीतिज्ञ, उद्योगपति, साहित्यकार, लेखक, वैज्ञानिक, राज्याधिकारी एवं अनेक बुद्धि जीवी लोग ही नहीं, विदेशी राजदूतावासों के अधिकारियों को भी गुरुदेव का सान्निध्य मिला।
सायंकालीन संगोष्ठियों में नियमित कैसेट सैटों का सुनाया जाना, प्रवचन के समय जैन विश्व भारती की प्रवृत्तियों शिक्षा, शोध, सेवा व साधना की जानकारी कराना,
तुलसी प्रज्ञा