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करता अनोखे व्यक्तित्व का धनी धीरे-धीरे कदम बढ़ाता हुआ आगे बढ़ रहा है । जिसके चारों ओर से मानवता के पोषक, महामानव, अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री तुलसी की जय की गगनभेदी आवाजें आ रही हैं ।
यही है वह महामूर्ति जिसके चरणों को छूने की होड़ लग रही है, जिसकी वाणी सुनने को लोग दौड़ पड़ रहे हैं । पाण्डाल छोटे पड़ रहे हैं । आज यह व्यक्ति जिधर से भी गुजर जाता है उस ओर का जीवन इस पर केन्द्रित हो जाता है । सभी अपने दैनिक कार्यक्रम से एक ओर हट इस महाबसंत के दर्शन की ओर दौड़ पड़ रहे हैं । सुना है इस महामानव को नए-नए कार्य करने की आदत सी पड़ी हुई है अभी-अभी अनायास ही मर्यादा महोत्सव (राजलदेसर ) में की गई युवाचार्य की घोषणा महान् हर्ष कारण बन हुई है।
ठीक इस महामानव के दाहिनी ओर दो कदम पीछे की ओर पूर्ण लम्बाई धारण किये, गम्भीर चेहरे एवं तेजोमय दृष्टि के साथ अपने में खोया रहने वाला एक महान् दार्शनिक संत चल रहा है, जिसे सारे विश्व में महान् चिन्तक, उच्चतम दार्शनिक, विचारक, मानवता पोषी मुनि नथमल से जाना जाता था । आज युवाचार्य श्री महाप्रज्ञ के रूप में अपने गुरु के श्री चरणों का अनुसरण कर रहा है । और पीछे संतों की एक लम्बी सी कतार चल रही है ।
संतों के पीछे दृष्टिगत है स्थानीय गणमान्य व्यक्तियों की कतारें । सभी लोग केवल जयघोष के समय ही आवाज करते हैं । अन्यथा शांतचित्त चल रहे हैं । पंक्तिबद्ध अनुशासित । इस महामानव के चरण चुरू से लाखाऊ, दूधवाखारा, हड़ियाल, डोकवा, सादुलपुर, ( युवाचार्यश्री के टमकोर, मीठड़ी) राजगढ़, थानमठई, भाकरा, बहल, ओबरा, दुराला, लेघा, भिवानी, बामला, खरक, कलानोर, लाली, रोहतक, कलाहवड़, रोहद, बहादुरगढ़, नांगलोई, (दिल्ली) सदर, लालकिला, दरियागंज, अणुव्रत विहार, ग्रीनपार्क होते हुए मेहरौली छतरपुर में अध्यात्मसाधना केन्द्र में प्रेक्षाध्यान शिविर में पहुंचे ।
उपर्युक्त सभी स्थानों पर अपार जनसमूह ने आपका हार्दिक अभिनन्दन किया और अमृतोपम प्रवचनों का लाभ उठाया। आचार्यप्रवर ने प्रत्येक स्थान पर जिज्ञासुओं की जिज्ञासापूर्ति की है । दर्शनार्थियों को दर्शन दिये हैं । आईये आपको कई मुख्य स्थानों, उन दृष्यों का अवलोकन कराऊँ, जो निश्चय ही अपने आप में अनोखे रहे हैं
चुरू – (१६-२-७९ से १६-२-७६ तक ) स्थान श्री फतहचन्द, बजरंगलाल कोठारी की हवेली |
विशाल हवेली जिसके ओरछोर का पता ही नहीं चलता । तम्बुओं से आच्छादित पाण्डाल में श्वेत वस्त्र धारण किये मध्यम कद का चौड़े भाल व मोटी-मोटी आँखों वाला, शान्त परन्तु दृढ़प्रतिज्ञ, तेजोमय भावों को बिखेरता सा कभी स्नेह पाश में जकड़ता और कभी वरद हस्त से अभिवादन और वन्दन स्वीकार करता हुआ मानवता का सजग प्रहरी विराजमान है |
एक ओर बाल संतों से लेकर वयोवृद्ध श्वेत वस्त्र धारण किए अपने-अपने स्थान पर सजग गुरुदेव की एकटक दृष्टि लगाये आज्ञापालन हेतु तत्पर हैं, तो दूसरी ओर माँ सरस्वती
खण्ड ४, अंक ७-८
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