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________________ ८ फरवरी, १९७६ । युवाचार्य अभिनन्दन समारोह मुनि श्री पूनमचन्द जी के सान्निध्य में मनाया गया । सभा की अध्यक्षता श्री मधुपकुमार जैन तथा संयोजन श्री पुष्पराज डुंगरवाल ने किया । मुनि श्री देवेन्द्र कुमार तथा मुनि श्री रवीन्द्र जी ने सुन्दर विचार प्रस्तुत किए। १० फरवरी, १९७६ । महिला मण्डल द्वारा युवाचार्य अभिनन्दन समारोह मनाया गया, जिसमें श्रीमती गुलाव देवी, श्रीमती सम्पत देवी सुराणा, श्रीमती सम्पत देवी बोथरा, श्रीमती सम्पत देवी नाहटा, मोहनी देवी सुराणा, गौरी देवी नाहटा, झमकू देवी सींघी, प्रकाश देवी सेठिया, अनूप देवी शेखानी, इचूदेवी बैद, श्रीमती श्री देवी आदि ने भाषण, कविता पाठ, गीतिका, सहगांन आदि के द्वारा बड़ा अच्छा कार्यक्रम प्रस्तुत किया । -पवन कुमार जैन सादुलपुर (राजगढ़) में ३२ वर्षों पश्चात् भागवती दीक्षा समारोह :---- चूरू से लखाऊ, दूधवाखारा, हडियाल, डोकवा आदि को स्पर्श करते हए आचार्य श्री तुलसी दि० २३-२-७६ को राजगढ़ में पधारे । सार्वजनिक निर्माण मन्त्री श्री जयनारायण पूनिया, एस० डी० एम० श्री आशुतोष गुप्त आदि महानुभावों ने आचार्य श्री का स्वागत किया तथा महती सभा में अभिनन्दन पत्र भेंट किया । युवाचार्य श्री महाप्रज्ञ भी अपनी जन्म स्थली टमकोर से राजगढ पधार गए थे। दि० २४-२-७६ को आचार्य श्री ने राजगढ के निर्मल गधैया पुत्र श्री रायचन्द गधया, तथा गंगाशहर के सम्पत लूणावत पुत्र श्री मंगलचन्द लूणावत को भागवती दीक्षा प्रदान की। नव दीक्षित मुनियों के नाम 'मुनि श्री निर्मलकुमार जी' तथा 'मुनि श्री संभवकुमार जी' रखे गए। युवाचार्य जी ने तनाव मुक्ति हेतु त्रिगुप्ति (कायोत्सर्ग, मौन व ध्यान) का महत्त्व समझाया। साध्वी श्री प्रतिभा श्री ने भी अपने उद्गार व्यक्त किए। आचार्य श्री ने महती कृपा करके श्री सुबोध कुमार गधैया, राजगढ़ (सुपुत्र श्री जीवनमल जी) को प्रतिक्रमण का आदेश फरमाया । तपस्वी मुनि श्री सम्पतलाल जी ने ३२ वर्षों के बाद राजगढ में आचार्य श्री के पधारने के उपलक्ष में ३२ दिनों के उपवास चालू कर रखे हैं। -शुभकरण श्यामसुखा, पवन मुसरफ ब्राह्मी विद्यापीठ (महिला कॉलेज) लाइन में प्रेरक उद्बोधन : ___ स्वामी सत्यपति जी, आचार्य गुरुकुल, सिंहपुरा (रोहतक) [हरियाणा] ने दि० ६ मार्च, १९७६ को महिला कॉलेज की छात्राओं एवं अध्यापकों के बीच भाषण करते हुए संस्था की प्रगति की बड़ी सराहना की। बहिनों में योग-साधना के शिक्षण-प्रशिक्षण से वे विशेष प्रभावित हुए । अजमेर के आर्य संगीताचार्य श्री पन्नालाल “पीय ष' सिद्धान्त शास्त्री ने अपनी शिक्षाप्रद गीतिका से छात्राओं का ज्ञान संवर्द्धन किया। खण्ड ४, अंक ७-८ ४८३
SR No.524517
Book TitleTulsi Prajna 1979 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1979
Total Pages246
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size12 MB
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