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मर्यादा के अभाव में देश व समाज का उत्थान असम्भव
गुलाब बाग (पूर्णिया) "मर्यादित जीवन जीना ही मर्यादामहोत्सव मनाने की सफलता है। मर्यादा जीवन है । प्राण है। संजीवनी है । अमूल्य ऐश्वर्य है । सम्पदा है । मर्यादा के अभाव में कोई भी देश, कोई भी समाज उत्थान नहीं कर सकता है । मर्यादा मानव के विकास को बांधती नहीं है, उसे वास्तविक गति देती है । मर्यादाओं के कारण ही तेरापंथ संघ में ऐक्य, अनुशासन एवं संगठन पल्लवित हो रहा है।" ये शब्द मुनिश्री कन्हैयालाल जी ने जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा आयोजित ११५ वें मर्यादा महोत्सव के शुभावसर पर सैकड़ों भाई-बहिनों के बीच अभिव्यक्ति किये।
___इस अवसर पर मुनिश्री महेशकुमार जी एवं मेतार्य मुनि के अतिरिक्त अन्य भाईबहिनों ने भी अपने विचार व्यक्त किये । लगभग ३६ नगरों से पधारे भाई-बहिनों ने उपस्थित होकर इस आयोजन को सफल बनाया । सभी का संचालन श्री कमलकुमार पुगलिया ने किया । सभा के मंत्री श्री रायचन्द जैन ने आचार्यप्रवर का सन्देश पढ़कर सुनाया।
मर्यादा महोत्सव का अवशिष्ट कार्यक्रम मुनिश्री के सान्निध्य में रात्रि में द्वितीय चरण के रूप में सम्पन्न हुआ।
-सुमेरमल चौपड़ा सरदार शहर में · यवाचार्य अभिनन्दन हर्षोत्सव" समारोह
दि० १८ फरवरी, १६७६ को आयोजित उपर्युक्त समारोह में मुनि श्री विनयकुमार जी, आलोक, ने कहा कि आचार्य श्री ने योग्य व्यक्ति का मनोनयन करके धर्म संघ को सुदृढ़ बनाया है । साध्वी श्री भीखाजी एवं साध्वी श्री लाघवश्री जी ने गीतिका के द्वारा युवाचार्य जी के दीर्घायुष्य की कामना की। तेरापन्थ सभा के अध्यक्ष श्री भंवरलाल बैद, अणुव्रत समिति के मंत्री श्री चन्दनमल पींचा, श्री सोहनलाल बैद, डॉ. किरणकुमार नाहटा, श्री रामस्वरूप शर्मा, श्री नगराज नाहटा, प्रो० जोरावरमल घीया, श्री भीकमचन्द बैद, श्री मोतीलाल बरड़िया आदि विद्वानों ने भी प्रसंगानुकूल विचार व्यक्त किए, जिनका सार यही था कि आचार्य श्री की सूझ-बूझ तथा समयज्ञता सराहनीय है । युवाचार्य जी के चयन से संघ गौरवान्वित होगा, यह निर्विवाद है।
समारोह के अन्त में मुनि श्री सागरमल जी 'श्रमण' में इतिहास की कड़ियों को जोड़ते हुए कहा कि युवाचार्य श्री का व्यक्तित्व निर्विवाद है । इनके मनोनयन से चारों ओर . प्रसन्नता का समुद्र लहरा रहा है । ये सदैव आचार्य प्रवर के प्रति समर्पित रहे हैं । इसीलिए इन्होंने जीवन में इतनी महानता अर्जित की है।
सभा का संजोयन श्री सोहनलाल डागा, उपमन्त्री, द्वारा किया गया ।
-पूनमचन्द सेठिया
राजविराज में चारित्रात्माओं का विहार :
दि० २४-२-७६ को साध्वी श्री सोहना जी तथा शजीमती जी का मिलन समारोह सर्वोच्य न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश श्री भगवती प्रसाद सिंह जी की अध्यक्षता में हुआ। खण्ड ४, अंक ७-८
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