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मुनिश्री गुलाबचन्द्र जी "निर्मोही'
आज मुझे प्रसन्नता है । युवाचार्यश्री महाप्रज्ञ जी अपनी महाप्रज्ञता का प्रसाद युगोंयुगों तक जनता को बाँटते रहें, यही इस अवसर पर मंगल कामना है। मुनिश्री जंवरीमल जी
कशीश अमल में गर हो तो जहान झुकता है। गरजता है अभ्र जब, खुद ही नाच उठता है मोर ॥१॥ अभ्र के गरजने पर गर नहीं नाचता है मोर तो समझ लो वो मोर नहीं है, है कोई और ॥२॥ जिनको शासन का ताज बनाया गया वो दरसल वेमिस्ल है । जिनको इतना ऊंचा उठाया गया, वो सबकी निगाह में काबिल है ॥३॥ गुलिस्ताने जहाँ में फूल तो हैं जा बजा लेकिन । जो अपनी बू से करदे मस्त वह हर गुल नहीं होता ॥४॥ मेरा दिल तो है सयदा, इस चमन के ऐसे फूलों पर। (कि) जिनमें रंग भी हो, हुस्न भी हो और बू भी ॥५॥ ओ राही राहे हक पर दिन रात चलता जा तूं । सरसब्ज गुल की मानिंद हर वक्त फलता जा तूं ॥६॥
श्री खेमचन्द सेठिया
आचार्य प्रवर ने जो निर्णय लिया है, उससे हम सबको अपार प्रसन्नता है। सारा समाज प्रसन्नता से झूम उठा है। पण्डाल भी खुशी के कारण ऊपर उछल गया। आचार्यप्रवर को युवराज पद गंगापुर की हिरणों की हवेली में मिला था, जिससे आपकी गति हिरणों की तरह तेज रही है । आज युवाचार्य का चुनाव नाहरों की हवेली में हुआ है। इसलिये ये भी नाहरों की तरह गूंजते रहेंगे। श्री मोहनलाल कठोतिया, अध्यक्ष-आवर्भ साहित्य संघ एवं संयोजक-अध्यात्म साधना केन्द्र दिल्ली
___ आचार्यश्री महान् दूरद्रष्टा हैं । आपने युवाचार्य पद पर महाप्रज्ञ मुनिश्री नथमल को आसीन करके हमारे धर्मसंघ की नींव पाताल तक पहुंचा दी है।......
समाज के वरिष्ठ कार्यकर्ता श्री हनुमानमल जी बैंगानी
हम बड़े ही भाग्यशाली हैं, जिन्हें इतना सुन्दर अवसर देखने को मिला। मैं बार-बार आपका अभिनन्दन करता हुआ यही प्रार्थना करता हूँ कि हमारे परिवार पर आपकी कृपादृष्टि बनी रहे। श्री श्रीचन्द जी बैंगानी, मन्त्री-जन विश्व भारती, लाडनू
.."मैं जैन विश्व भारती परिवार की ओर से आचार्यश्री का अभिनन्दन करता हूँ।...
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तुलसी-प्रज्ञा