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• हृदय स्पन्दन में वृद्धि ( Palpitation of the Heart) हृदय रोग वाले सज्जन यथासम्भव चाय पीने से बचें।
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• अग्निमन्दता – अधिक चाय पीने से भूख मर-सी जाती है। खाने की इच्छा ही नहीं रहती । अपच की शिकायत रहती है ।
• अनिद्रा ( Sleeplessness) अधिक मात्रा में चाय पीने वालों को गहरी नींद नहीं आती । नींद के अभाव में सुबह उठने पर ताजगी का अनुभव नहीं होता । उठते ही बेड टी (Bed Tea) मिले तो बिछौना छोड़े ।
० कब्ज —- मलावरोध (Constipation ) । अधिक चाय पीने वालों का मल सूखने लगता है । मल की गोलियां सी बंध जाती हैं । पेट पूरी तरह कभी साफ नहीं हो पाता । जुलाब ले-लेकर पेट की सफाई करनी पड़ती है ।
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कहा जाता है कि भारत के ऋषि मुनियों ने सोम रस (एक प्रकार का मधुर मद्य ) पान कर-कर के सुन्दर ग्रन्थों ( सुन्दर साहित्य ) की रचना की थी । आज के चाय- युग में चाय पी-पीकर, कवि, साहित्यकार उत्कृष्ट साहित्य की रचना करते हैं । राजनैतिक एवं सामाजिक नेता गण प्रभावशाली उत्तेजक भाषण देकर जनता को आकर्षित कर रहे हैं । टीचर, प्रोफेसर क्लास रूम में छात्रों को अपनी विद्वता का परिचय दे रहे हैं । चित्रकार एवं कलाकार कलात्मक सामग्री का निर्माण कर रहे हैं । व्यापारी वर्ग अपने ग्राहकों को चाय पिला - पिला कर ऊंचे दामों में अपना माल विक्रय कर रहे हैं । वास्तव में आज के इस चाय - युग में चाय का सर्वत्र बोलबाला है । अतः अब चाय-पान को एक निर्दोष पेय मान लिया गया है । हमारे प्रिय प्रधान मंत्री मोरारजी भाई ने मद्य-पान पर तो रुकावट जरूर लगाई है, परन्तु चाय-पान पर रुकावट लगाने की हिम्मत शायद वे न कर सकें ।
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तुलसी- प्रशा