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पानी में अधिक देर तक चाय को उबालने से टैनीन का काढ़ा सा बन जाता है। ऐसा काढ़ा टॉन्सील (Tonsils) के बढ़ जाने या गले में बढ़े हुए दानों के लिए कुल्ले (Gargle) के रूप में उपयोगी माना गया है। इसके कसैले प्रभाव से टॉन्सील या गले के सूजनमय दाने सिकुड़ने लगते हैं। टॉन्सील व दानेजन्य खांसी शान्त होने लगती है।
चाय में कई प्रकार के विटामिन भी पाये जाते हैं। इनसे चर्म का रंग निखरता है। वह लचीला एवं सुन्दर बनता है। चाय पसीना लाकर चर्म के रोम-छिद्रों की सफाई कर डालती है।
चाय बनाने का तरीका
पानी के अच्छी तरह से उबल जाने के पश्चात् उसमें चाय की पत्तियां डाल कर उस बर्तन के मुह को अच्छी तरह ढक दें और उसे तुरन्त चूल्हे से नीचे उतार लें। उबले हुए इस पानी की भाप से चाय पत्तियों का सार-अंश पानी में घुल जाता है। पांच-सात मिनट बाद इसे छान लें और इसमें गरम दूध एवं चीनी मिला दें। चाय तैयार है। ऐसी हुई चाय स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है, इसमें हानि की संभावना बहुत ही कम रहती है।
चाय के पानी में अधिक रंग या लाली लाने की दृष्टि से चूल्हे पर चाय को पानी में उबालते रहना उचित नहीं। इससे उसमें टैनीन की मात्रा बढ़ जाती है, जो शरीर के लिए हानिप्रद है।
चाय को सुगन्धित एवं स्वादिष्ट बनाने हेतु उबलते पानी में इलायची, सौंठ, काली मिर्च, तेज पत्ती आदि का महीन पाउडर या चूर्ण अति अल्प मात्रा में मिलाया जा सकता है। यह मिश्रण चाय को स्वास्थ्य की दृष्टि से अधिक लाभप्रद बना देता है। .
चाय के गरम पानी में दूध और चीनी के स्थान पर कागजी नींबू (Lemon) का रस मिलाकर पीना मधु-मेह (Diabetes) के रोगी के लिए लाभकर है।
चाय-पान के संबंध में अति-मात्रा सर्वथा त्याज्य है । चाय दिन भर में सिर्फ दो दफे (सुबह एवं दोपहर में) पीना उचित है और वह भी एक बार में एक कप से अधिक नहीं। काम करते समय अधिक शारीरिक व मानसिक थकावट का अनुभव होने पर एक कप अतिरिक्त चाय ली जा सकती है । चाय पीने के पहले कुछ अल्पाहार अवश्य करें। खाली पेट चाय पीना खतरनाक है।
रात में सोते समय चाय पीना उचित नहीं। इससे रात में बार-बार पेशाब करने के लिए उठना पड़ता है और गहरी नींद नहीं आ पाती।
शरीर की निम्न स्थितियों में चाय पीना उपयोगी है :० सिर-दर्द एवं शरीर संबंधी साधारण पीड़ा-दर्द में । ० सर्दी-जुकाम जन्य बेचैनी में । ० काम करते समय मानसिक व शारीरिक थकावट का अनुभव होने पर स्फूर्ति एवं ___ताजगी लाने की दृष्टि से । ० गठिया रोग (Rheumatism) में । अधिक बार या अधिक मात्रा में चाय पीना निम्न रोगों को निमन्त्रण देना है :
खंड ४, अंक ७-८
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