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________________ और स्थावर सभी जीवों में समभाव रखने वाला होना चाहिए ।" लाभ, अलाभ, सुख दुःख, जीवन-मरण, निन्दा - प्रशंसा, मान-अपमान में सम रहने वाला होना चाहिए ।" गौरव, कषाय, दण्ड, शल्य, य, भय, हास्य और शोक से निवृत्त निदान और बन्धन से रहित होना चाहिए। २७ इस तरह गृहस्थ व्यक्ति को सुख-दुःख में समभाव रखते हुए आशावान् होकर निःस्वार्थ भाव से कार्य करते हुए जीवन यापन करना चाहिए। वही सुख का देने वाला है । आशावान् होकर मन में दृढ़ता लाकर, पराक्रमी गुणों को धारण कर पुरुषार्थी होना चाहिए, यही सफलता के दायक हैं । 'चुलकलग जातक" की गाथा में मनुष्य को सफलता प्राप्त करने के लिए उपदेशित किया गया है - "संयम, समाधि, मन की एकाग्रता, अव्यग्रता, समय पर निष्कर्मण, दृढ़ वीर्य तथा पुरुष पराक्रम गुणों का होना आवश्यक है । इस तरह गृहस्थ संयम, शान्ति के जीवन को धारण कर बुराइयों का परित्याग कर परमानन्द की निःसन्देह प्राप्ति कर सकता है । सुख-दुःख में समभाव रखते हुए मुस्कराते रहना चाहिए, जैसे कृष्ण नाग शैया पर लेटे हुए भी खुश रहने के भाव को द्योतित करते हैं । गृहस्थ आश्रम इस प्रकार हर दृष्टिकोण से अपना आध्यात्मिक महत्त्व रखता है । गृहस्थ आश्रम में मनुष्य शान्ति पूर्वक जीवन-यापन कर परिवार, समाज, राष्ट्र, सभी के प्रति अपने कर्तव्यों की पूर्ति कर सकता है । २४. उत्त रज्झयणाणि १६ / ८६ | २५. वही १६ / ६० । २६. वही १६ / ६१ । २७. जातक - सम्पादक वी० फासबल, संस्करण १६६० लन्दन, गा० ४, पृ० ७ । [ पृष्ठ ४५५ का शेषांश ] महाराज के दर्शनार्थ आये कभी-कभी अधिक समय व्यतीत होने पर श्रमण को उनकी कमी खटकने लगती, सर्वत्र सूना सा लगता, जीवन निरर्थक लगता । अब महाश्रमण तो रहे नहीं कि वे उनके चरणों में शीश रखकर अपनी राह का पता पूछते । अब तो उनको ही अपना मार्ग निर्देशक बनना था और इसके लिये वे अपने को अयोग्य पा रहे थे । समय अपनी निर्बाध गति से आगे बढ़ता गया । श्रमण की ख्याति बढ़ती गई व साथ ही आयु भी । शरीर यौवन से प्रौढ़ व प्रौढ़ से वृद्धावस्था की क्षीणता की ओर चलने लगा और एक दिन यात्रा का अन्त आ गया- - एक नई यात्रा का प्रारंभ, अपनी गोद में छुपाये । (क्रमश:) ४६० - --:: तुलसी- प्रज्ञा
SR No.524517
Book TitleTulsi Prajna 1979 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1979
Total Pages246
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size12 MB
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