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आगमेनानुमानेन ध्यानाभ्यासरसेन च । त्रिधा प्रकल्पयत्प्रज्ञां लभते योगमुत्तमम् ॥
यह उक्ति युवाचार्य के जीवन में अक्षरशः चरितार्थ होती है । आगमज्ञान एवं चिन्तन-मनन अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति पा चुका है तथा ध्यान के आयाम प्रदान किये हैं ।
परमाराध्य आचार्य श्री ने मुनिश्री को युवाचार्य पद पर नियुक्त करके एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कार्य सुसम्पन्न किया है, जो तेरापंथ महासंघ को और भी अधिक उज्ज्वल बनायेगा, ऐसा हमारा सुदृढ़ विश्वास है ।
युवाचार्य श्री महाप्रज्ञ के सम्मान में 'तुलसी प्रज्ञा' का प्रस्तुत अंक युवाचार्य महाप्रज्ञ विशेषांक के रूप में प्रकाशित किया जा रहा है ।
इसे प्रकाशित करने में हमें भाई कमलेश जी चतुर्वेदी द्वारा प्रसारित विज्ञप्तियों एवं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं से काफी सहयोग मिला है, जिसके लिए हम अत्यन्त आभारी हैं ।
- नथमल टाटिया
सम्पादक
विज्ञापन दाताओं को आह्वान
आप अपने से सम्बन्धित अथवा सम्पृक्त व्यावसायिक संस्थानों के विज्ञापन इस पत्रिका में प्रकाशित करा कर हमें सहयोग प्रदान करें । विज्ञापन दर प्रति अंक इस प्रकार है
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- गोपीचंद चौपड़ा
प्रबन्ध सम्पादक
तुलसी प्रज्ञा