SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 111
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अभिनन्दन ! अभिनन्दन! ___ आज हर्ष न समाय छाई रंगरेलीजी, खिली कली-कली-कली भारी खबर मिली जी आज हर्ष न समाय मौका देख के मनोहर, तुलसी प्रभु के पट्टोधर अपना कर दिया है जाहिर ॥आज०॥ महाप्रज्ञजी है नाम, जिनकी विद्वत्ता प्रकाम लोक जानते तमाम ॥आज०।। बड़ा भारी काम था, प्रश्न ग्रामो ग्राम था फिक्र आठों याम था ॥आज०॥ आज फिक्र मिट गया, सबका प्रश्न हट गया अच्छा सौदा पट गया ॥आज०॥ चिरंजीवो गणिराज, सेवा करो युवराज कहें मुनि धनराज ॥आज०॥ शासन फलो और फूलो, सारे खुशियों में झूलो दुःख-दर्द सब भूलो ॥आज०॥ नन्दन वन के समान, गण है सुख का निधान मजे लूटो जी महान् ॥आज०॥ (लयः पूरी गाई नहीं जाती महिमा गुरुदेव की) -मुनि धनराज महामहिम आचार्यदेव ! आप मेरी ओर से शत-शत बधाइयाँ स्वीकार करें। आपने उचित समय पर उचित काम किया है । अपने उत्तराधिकारी का नाम घोषित कर आप ऋण-मुक्त बने हो। युवाचार्य प्रवर श्री महाप्रज्ञ महोदय का भी मैं हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। यदि किञ्चित् भी आभास हमें मिला होता तो हम भी इस अदृष्ट पूर्व समारोह के अवश्य साक्षी बनते । आप श्री प्रतिपद ऋद्धि-वृद्धि-विजय-सिद्धि-प्रेम-आरोग्य को प्राप्त करते हुए जैन-शासन की श्री पर चार चाँद लगाएं। इसी शुभाशंसा के साथ । -मुनि चन्दनमल खण्ड ४, अंक ७-८ ४११
SR No.524517
Book TitleTulsi Prajna 1979 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1979
Total Pages246
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy