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________________ महाप्रज्ञ से धर्म-अनुशास्ता : एक गौरवपूर्ण उपलब्धि -देवेन्द्र कुमार कर्णावट महाप्रज्ञ मनि श्री नथमलजी के युवाचार्य की घोषणा से "तेरापंथ धर्मसंघ" में होने वाली अनेक कल्पनात्मक चर्चाएं समाप्त हो गई हैं । बहुत सी भविष्यवाणियां केवल भविष्यवाणियां रह गई हैं। तेरापंथ में नव उन्मेषों के प्राण-प्रतिष्ठापक युग प्रधान आचार्य श्री तुलसी ने, जो स्रोत, प्रतिस्रोत एवं संघर्षों में भी सदैव नवीनता के दिशा-प्रेरक रहे हैं, जीवन के इस उत्तरार्द्ध में भी युग के नित्य बदलते परिवेश में एक युगवीर की तरह कुछ दे जाने के लिए कृत-संकल्पशील हैं, दर्शन जगत के नम्र दार्शनिक एवं प्रयोगशील विचारक को अनुशास्ता के पद पर प्रतिष्ठापित कर सबको आश्चर्यान्वित कर दिया है। ० मनि श्री नथमलजी वस्तुतः साधुता में रमणशील एक ऐसे संत हैं, जिनके दर्शनमात्र से मन गौरवान्वित हो उठता है, सांस्कृतिकता एवं पौराणिकता जाग उठती है। लेकिन इच्छा और आकांक्षा से कोसों दूर, युग के बहते प्रवाह में कुछ ले गुजरने की महत्त्वाकांक्षा उनमें तिलमात्र भी नहीं है। धर्म नेता के रूप में नेतृत्व की तो बिल्कुल ही नहीं है। फिर भी वे नेतृत्व के शिखर पर पहुंच गये हैं, यह उनकी आत्म-तेजस्विता है। ० मुनि श्री नथमलजी लेखन की प्रक्रिया में खोज एवं शोध की दिशा से सतत् प्रेरित एक प्रकाशमान एवं श्रुत लेखक है, जिनकी लेखनी से न सिर्फ दर्शन की आभा प्रस्फुटित होती है वरन् भारतीय दर्शन की राहें भी विकसित होती हैं। प्रशस्ति एवं प्रसिद्धि की दृष्टि से सर्वथा पृथक् "स्वान्तः सुखाय" ही उनकी कलम की आत्मवृत्ति है, जो निरन्तर चलती रहती है । भारतीय एवं विश्व साहित्य में यह उनकी अद्वितीय देन है, जो विविध पुस्तकों के रूप में उपलब्ध है। ० मुनि श्री नथमलजी दर्शन की गहराई एवं विकास के लिए एक ऐसे चिन्तनशील विचा रक हैं, जिनसे नित्य नवीनता की दिशा मिलती है। सामायिक के प्रारम्भिक सूत्र से लेकर प्रेक्षा ध्यान की उच्चतम मंजिल तक सामान्य भाव से सामान्य जन को पहुंचा दिया, यह उनकी अपनी क्षमता है, जिसे प्राप्त कर आज आत्म-जगत गौरवान्वित है। कहीं भी रूढ़ता नहीं है वरन् कुठाओं से ग्रस्त ग्रन्थियों को खोलने की उनमें एक अजस्र शक्ति है। खण्ड ४, अंक ७-८ ४०३
SR No.524517
Book TitleTulsi Prajna 1979 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1979
Total Pages246
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size12 MB
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