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________________ अन्य जो तत्त्व विद्यार्थी के लिए आवश्यक हैं, उन पर आज तेजी से चिन्तन किया जा रहा है । अब यह स्वीकृत तथ्य बन चुका है कि पुस्तकीय ज्ञान के साथ नैतिक शिक्षा व योगशिक्षण का समावेश भी किया जाना आवश्यक है। इसके साथ ही अणुव्रत कीमहत्ता को प्रस्तुत करते हुए मुनि श्री ने कहा-अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री तुलसी ने अणुव्रत के द्वारा जो संदेश मानव-समाज को दिया है, वह सर्वसम्मत, सर्वमान्य है और विश्व के बड़े बड़े लोगों ने भी इसे स्वीकार किया है। उनके नैतिकता के उद्बोधन ने भौतिक चरमोल्लान में छटपटाती मानवता में नये प्राण फूंक दिये हैं। विद्वान् मुनि श्री के कथन को सहमति देते हुए जे. बी. उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के आचार्य आर. एस. सक्सेना ने बताया कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली में योग व नैतिक शिक्षा के महत्त्व को स्वीकार कर लिया गया है। तथा अगले सत्र से ही शिक्षा के साथ-साथ शारीरिक योग आदि का प्रशिक्षण भी प्रारंभ किया जा रहा है। साधना-विभाग योग को वैज्ञानिक विधि से, सरल सहज-बोधगम्य व जीवन के महान् परिवर्तक के रूप में विश्व के जन-जन के हृदय में उतार देने का कृत संकल्प है। प्रगति की पगदंडी पर आगे बढ़ने को उद्यत साधना-विभाग अपनी प्रारम्भिक अवस्था में विभिन्न साधकों व विद्वान् मनीषियों से महत्वपूर्ण सुझावों व मार्गदर्शन की अपेक्षा रखता है। प्रेक्षा ध्यान-शिविर का दस दिवसीप आयोजन आगामी दिनांक 5-12-78 से 14-12-78 तक तुलसी अध्यात्म नीडम् प्रज्ञा प्रदीम में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें मुनि श्री नथमल जी का सान्निध्य प्राप्त होगा। शिविर में भाग लेने के इच्छुक साधक दिनांक 4-12-78 तक लाडनूं पहुंच जावें । स्वास्थ्य विभाग ___ सेवाभावी कल्याण केन्द्र-आयुवेद विभाग का साधारण चिकित्सा केन्द्र जो कि कतिपय कारणों से कई महीनों से बन्द था, उसके पुनर्संचालन हेतु वयोवृद्ध श्री माणकचन्द जी सेठिया की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है, जिसके उपाध्यक्ष श्री सम्पतराय जी भूतोडिया एवं सदस्य श्री बच्छराज जी पगारिया तथा संस्था के मंत्री पदेन सदस्य रहेंगे। यह समिति पूरे उत्साह और लगन के साथ इस विभाग को सुन्दर रूप से प्रारंभ करने के लिए प्रयत्नशील है। सुयोग्य एवं निपुण वैद्य की नियुक्ति हो गई है और हमें पूर्ण विश्वास है कि इस विभाग से न केवल लाडनूं की जनता अपितु आसपास के सभी वर्ग व जाति के व्यक्तियों को लाभ मिलेगा। इस केन्द्र के अन्तर्गत रोग निदान केन्द्र की व्यवस्था भी रहेगी, जिसमें आधुनिकतम प्रक्रियाओं से रोग निदान हो सकेगा। इस विषय की पूरी जानकारी आगामी अंक में दी जायेगी। केन्सर विभाग-यह केन्द्र मोमासर निवासी श्रीमान् कन्हैयालाल जी पटावरी के आर्थिक सहयोग से ही जैन विश्व भारती की सेवा प्रवृत्ति का एक महत्त्वपूर्ण केन्द्र है। इस विभाग का संचालन कार्य श्री जैवरीमल जी एवं त्रिलोकचन्दजी फूलफगर की देखरेख में हो रहा है । विगत अगस्त, सितम्बर, अक्टूबर, 1978 की तिमाही में रोगियों की संख्या निम्न प्रकार रही खण्ड ४, अंक ३-४ २४१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524516
Book TitleTulsi Prajna 1978 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1978
Total Pages78
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size5 MB
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