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________________ जैन विश्व भारती : प्रवृत्ति एवं प्रगति शोध विभाग: जैन विश्व भारती शोध- प्रधान संस्था है । शोध, शिक्षा एवं साधना ये तीनों विभाग उतरोत्तर प्रगति कर रहे हैं, जिसकी कुछ जानकारी गतांक में दी जा चुकी है। आलोच्य काल में शोध विभाग में जापान से दो विद्वान, सुश्री एन. शान्ता नाम की एक फ्रेंच महिला, प्रज्ञा चक्षु श्री सुमेरमल बैद एवं श्री रमेशभाई आए एवं शोध कार्य में भाग लिया तथा ले रहे हैं । इनका संक्षिप्त परिचय पाठकों की जानकारी हेतु निम्न प्रकार दिया जा रहा है : अतशुशी इतो - जापान निवासी श्री इतो जैन न्याय शास्त्र (संस्कृत भाषा के माध्यम से) अध्ययनार्थ इस संस्था में आये हैं । जापान का इनका पता है - हिरोचो, हिरो-गुन, होक्कैडो (जापान) 089-26. आप होक्कैडो विश्व विद्यालय से स्नातकोतर डिग्री प्राप्त हैं । अभी आपका उद्देश्य हिन्दी भाषा ( मुख्यतया वार्तालाप) तथा अर्द्धमागधी भाषा का कामचलाऊ ज्ञान प्राप्त करना है, ताकि बाद में स्वतः अध्ययन में सुविधा हो । आपने अर्नेष्ट बैंडर लिखित "हिन्दी व्याकरण तथा रीडर" और एस. एन. शर्मा लिखित "हिन्दी व्याकरण एवं अनुवाद" की सहायता से स्वतः हिन्दी भाषा का अध्ययन आरंभ कर दिया है। आप बड़े, परिश्रमी एवं अध्वयसायी हैं । - शैकी मियासिता - ओटानी विश्वविद्यालय से स्नातकोतर परीक्षा उतीर्ण श्री मियासिता जापान के निवासी हैं, जिनका पता है – 35, योको- माची, मतसुतो-शी, इशीकाबा (जापान) । डा० नथमलजी टाटिया, निदेशक, शोध विभाग की देखरेख में संस्कृत ग्रन्थ "अभिधर्मकोश भाष्य" का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद करने हेतु आप इस संस्था में आये हैं । अभी आप तिब्बती भाषा के द्वारा "अभिधर्म कोश टीका तत्वार्थ" ( स्थिरमति कृत भाष्य ) का अध्ययन कर रहे हैं । कार्य के प्रति आपकी निष्ठा एवं लगन सराहनीय है । सुश्री एन. शान्ता - आप विगत 25 वर्षों से भारत में आई हुई हैं । वाराणसी के प्रो. डा. आर पणिक्कर, जो कि तुलनात्मक धर्म एवं दर्शन के विश्वविख्यात अधिकारी माने जाते हैं, की सहयोगिनी के रूप में कार्यरत हैं । आप केलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोध विभाग से भी सम्बद्ध हैं । आप साथ साथ जैन साध्वियों के संबंध में भी गवेषणात्मक अध्ययन कर रही हैं । उनकी योजना है कि उस विषय में फ्रेंच भाषा में एक ग्रन्थ लिखा जाय तथा उसका अंग्रेजी अनुवाद भी प्रकाशित हो। इस प्रसंग में उन्होंने विभिन्न सम्प्रदायों की अनेक खण्ड ४, अंक ३-४ २३७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524516
Book TitleTulsi Prajna 1978 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1978
Total Pages78
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size5 MB
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