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कुण्डलपुर के बड़े बाबा : आदिनाथ ।
__ डा० भागचन्द्र जैन 'भागेन्दु' । कुंडलपुर मध्यप्रदेश के दमोह जिले में अवस्थित है । यह मध्य रेलवे के बीना-कटनी मार्ग के दमोह स्टेशन से ईशान कोण में 35 किलोमीटर दमोह-पटेरा-कुण्डलपुर मार्ग पर स्थित है। पटेरा से इस स्थान की दूरी 5 किलोमीटर है। कुण्डलपुर समुद्री सतह से तीन हजार फीट ऊंची पर्वत श्रेणियों से घिरा हुआ है। यहां की पर्वत-श्रेणियां कुण्डलाकार हैं, कदाचित् इसीलिए यह स्थान 'कुण्डलपुर' कहलाया।
प्राकृतिक सुषमा-सम्पन्न, उत्तर भारत की महनीय तीर्थस्थली कुण्डलपुर का महत्त्व धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से तो है ही, कला और पुरातत्त्व की दृष्टि से भी उल्लेखनीय है । भारतीय संस्कृति और विशेष रूप से जैन संस्कृति, कला तथा पुरातत्त्व के विकास में कुण्डलपुर का योगदान अत्यन्त भव्य और प्रशस्य है। यहां ईसा की छठी शताब्दी से लेकर परवर्ती सोलहवीं सत्रहवीं शताब्दी तक का मूर्तिशिल्प पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होता है। यहां कुल 60 जैन मन्दिर हैं, 40 पर्वत के ऊपर और 20 अधित्यका में । अधित्यका के मन्दिरों और पर्वतमाला के बीचोंबीच निर्मल जल से भरा वर्धमान सागर नामक विशाल सरोवर है।
यद्यपि कुण्डलपुर में मूर्ति और वास्तुशिल्प के अनेक बेजोड़ नमूने उपलब्ध हैं, तथापि इन पंक्तियों में हम कुण्डलपुर की उस भव्य और सौम्य मूर्ति से आपको परिचित करा रहे हैं जो छठवीं शताब्दी की निर्मित तो है ही, सौन्दर्य की सृष्टि तथा विशालता की दृष्टि से भारतीय पद्मासन मूर्तिकला के इतिहास में अनुपम भी है। यह मूर्ति 'बड़े बाबा' के नाम से सम्बोधित होती है।
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(चिन 1) बड़े बाबा
कुण्डलपुर के मन्दिर संख्या 11 (देखो चित्र संख्या एक) में अवस्थित 12 फुट 6 इंच
तुलसी प्रज्ञा
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