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का कई पौण्ड वजन घट गया । यदि साइकिक प्रयोगों के पूर्व हम उनका वजन सूक्ष्म कांटे पर करें तो वोगल का कहना है कि "प्रत्येक संदर्भ में वजन की कमी पाई जाएगी ।" यह क्षति पानी की है जैसे कि मनुष्य के तत्काल शक्ति दाई (Crash ) आहार पर होती है ।
भविष्य में चाहे जो हो वोगल का विश्वास है कि उसके पौधों संबंधी अन्वेषण मनुष्यों चिरकाल से विस्मृत सत्यों की पुनर्स्थापना में सहायक बनेंगे । वह सोचता है कि बच्चों को वह उनकी भावनात्मक उर्मियों के विर्सजन की विधि सिखा सकता है और इसके परिणामों की नाप की जा सकेगी। वे इसी तरह प्रेम करने की कला सीख सकेंगे और वास्तव में जानेंगे कि जब वे एकाग्र विचार करते हैं तब वे क्षितिज में अत्यधिक शक्ति (Force) या ऊर्जा का विसर्जन करते हैं, यह जानकर कि वे अपने विचार ही हैं वे जान लेंगे कि विचार का कैसे उपयोग किया जाय ताकि वे अपना आध्यात्मिक, भावात्मक और बौद्धिक विकास प्राप्त कर सकें । यह कोई मस्तिष्क की तरंगों को नापने की मशीन अथवा जादू नहीं है जिससे मनुष्यों को दृष्टा या योगी बनाया जाय बल्कि बच्चों को सरल, ईमानदार मानव बनाने में सहयोगी मात्र है ।
अपने सारे अन्वेषणों के महत्व का उपसंहार करते हुए वोगल ने कहा "जीवन में सारी पीड़ा और दुःख का आविर्भाव इसलिए होता है कि हम अपने तनाव और ऊर्जा का विसर्जन करने में असमर्थ रहते हैं । जब एक व्यक्ति हमें अस्वीकार (Reject) करता है तो हम अन्दर ही अन्दर विद्रोह कर उठते हैं और उस अस्वीकार को पकड़ते रहते हैं । यह तनाव पैदा करता है और जैसा कि विल्हम रीच ने बहुत ही पहले बताया था कि यह तनाव स्नायु-तंतुओं के बीच संग्रहीत होता चला जाता है और अगर उसे विसर्जित (निर्जरा ) नहीं किया जाय तो शरीर के ऊर्जा क्षेत्र ( आत्म प्रदेशों) में क्षति पहुंचाता है और शरीर की रासायनिक परिणति में परिवर्तन ला देता है । मेरा पौधों सम्बन्धी अन्वेषण तनाव मुक्ति के एक मार्ग का संकेत है ।"
( श्री पीटर टोमकीन्स और कृष्टोफर बर्ड की पुस्तक 'सीक्रंट्स आव प्लान्ट लाईफ' के एक अंश का हिन्दी अनुवाद)
खण्ड ४, अंक २
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