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में ताजे बीजों से बोये हुए खेतों में मानवीय जोड़ों को संभोग करने की छूट थी ताकि पौधों 'बढ़ने की सृजनात्मक शक्ति में उभार सा आए ।
दूसरे अवसर पर एक ऐसे अन्धेरे कमरे में जिसमें सिर्फ लाल रोशनी की मोमबती जल रही थी और विचित्र-सी कहानी सुनी जा रही थी। पौधे ने उस सभा की प्रतिक्रियाओं के संवेदनों के प्रति सजगता प्रकट की । कहानी के कुछ विशेष स्थलों जैसे " जंगल में रहस्य - मय कमरे का दरवाजा धीरे से खुलना शुरू हुआ...." अथवा " चार्ल्स ने नीचे झुक कर कफन का ढक्कन उठाया ' अथवा “अचानक एक कौने में एक अजीब-सा मनुष्य हाथ में छुरा लिये हुए प्रगट हुआ" पर पौधा विशेष ध्यान देता हुआ लगा । वोगल के लिए यह एक प्रमाण था कि पौधा, समुदाय द्वारा कल्पनाओं के रूपान्तर में परिवर्तित हुई ऊर्जाओं को माप सकता था ।
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वोगेल जोर देकर कहता है कि वे लोग जिनमें अपनी चेतना की भूमिकाओं को पूरी तरह बदलने की क्षमता नहीं है, उन लोगों के लिए पौधों के साथ प्रयोग करना अत्यन्त खतरनाक भी हो सकता है । आगे वह कहता है कि “एकाग्र चिन्तन मनस की उच्चतर भूमिओं में स्थित मनुष्य के शरीर पर अत्यधिक प्रभाव डाल सकता है और यदि वह व्यक्ति अपने कषायों (Emotions) को उसमें हस्तक्षेप करने देता है ।'
किसी भी व्यक्ति, जिसका सुदृढ़ और स्वस्थ शारीरिक संहनन नहीं है, को पौधों के साथ अथवा अन्य किसी भी साइकिक अन्वेषणों की गहराई में नहीं उतरना चाहिए। हालांकि वह यह प्रमाणित नहीं कर पाया है फिर भी उसे लगता है कि विशेष आहार जैसे कि प्रोटीन और खनिज से युक्त सब्जी, फल, मेवा शरीर को उपरोक्त कामलायक शक्ति-निर्माण में मददगार हैं । उच्च भूमिकाओं में स्थित व्यक्ति जितनी ऊर्जा को खींचता है, उसकी पूर्ति के लिए अच्छी पोषणयुक्त खुराक की आवश्यकता पड़ती है ।
जब उससे पूछा गया कि विचार आदि की उच्चतम ऊर्जा औदारिक शरीर एवं जीवित जीवाणुओं पर किस प्रकार प्रभाव डालती है तो उसने कहा कि अब वह अनुमान करने लगा है कि पानी में विचित्र गुण धर्म है । एक कृष्टल-अन्वेषक के रूप में उसकी इस बात में रुचि है कि जहां अधिकतम लवणों के कृष्टल का स्वरूप एक होता है वहां हिमनदी के भीतरी नमूने तीस से भी ज्यादा अलग-अलग स्वरूप वाले होते हैं । इस विषय के अनजान व्यक्ति प्रथम बार इन्हें देखकर इस निष्कर्ष पर पहुंचेंगे कि वे अलग-अलग पदार्थ देख रहे हैं । वे अपनी निजी अपेक्षा से सत्य भी हैं क्योंकि पानी स्वयं में एक रहस्य है ।
स्थापित सत्यों के आगे जाकर वोगल आगाही (Prediction) करता है कि सभी जीवित वस्तुओं में पानी की मात्रा अधिक होने से मनुष्य की जीवन्त शक्ति उसके श्वासो - श्वास की संख्या के अनुपात में किसी तरह अवश्य जुड़ी होनी चाहिए। जैसे पानी रोम-रोम द्वारा शरीर में घूमता है वैसे-वैसे जीवन्त शक्ति का वोल की जल के प्रति इस धारणा का प्रथम संकेत इस तथ्य से मिला कि कई एक साइकिक व्यक्तियों ने अपने प्रयोगों के दौरान जब साइकिक ऊर्जा का प्रसारण किया तब उनके शरीर
निर्माण ( Charge) होता रहता है
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तुलसी प्रज्ञा
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