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________________ तुलना में कितना निकृष्ट है ? वोगल के पौधे की भावना को इतनी गहरी चोट लगी थी कि उसने शेष सारे दिन के लिए उत्तर देने से ही इन्कार कर दिया । सचाई तो यह है कि उसके बाद वह दो हफ्ते तक उद्विवग्न बना रहा । वोगल को यह सन्देह कतई नहीं है कि पौधों को कुछ विशेष प्रकार के मनुष्यों से अधिक स्पष्ट कहा जाय तो उन मनुष्यों के सोचने के प्रति परान्मुखता है । जब यह सत्य है तो वोगल का विचार है कि एक न एक दिन ऐसा हो सकता है कि मनुष्य के चिन्तन को पौधों के मार्फत पढ़ा जा सके या जाना जा सके। ऐसा ही कुछ वास्तव में हो भी चुका है। वोगल के निवेदन पर एक मित्र ने जो अणुभौतिकविद् था एक तकनीकी समस्या पर काम करना शुरू किया। जब उसका चिन्तन चल रहा था वोगल के पौधों न 118 सैकण्ड तक रेकार्डर पर अनेक संकेत अंकित किए। जब अंकन-संकेत पुनः अपनी मूल रेखा पर आकर रुक गए तो वोगल ने अपने मित्र को सूचित किया कि उसकी चिन्तनधारा रुक गई है। मित्र ने इसकी पुष्टि की । क्या वोगल वास्तव में एक चिन्तन धारा को पौधे के मार्फत चार्ट पर पकड़ पाया ? वोगल के निवेदन पर जब भौतिकविद कुछ मिनटों के बाद अपनी पत्नी के बारे में चिन्तन करने लगा तो पौधे ने पुनः 105 सैकण्ड तक संकेत अंकित करवाये । वोगल को लगा कि ठीक उसके सामने अपने ही निवास स्थान पर पौधा मनुष्य के अपनी पत्नी के बारे में मानसिक चिन्तन को पकड़ रहा था और अंकित करवा रहा था। अगर कोई इन अंकनों की व्याख्या कर सके तो क्या कोई यह नहीं जान सकता कि आदमी क्या सोच रहा है ? कॉफी मध्यान्तर के बाद वोगल ने अपने मित्र से सहज ही कहा कि वह अपनी पत्नी के बारे में उसी तरह पुनः सोचे जैसा कि उसने पहले सोचा था। पौधे ने 105 सैकण्ड तक लगभग पहले जैसा ही अंकन करवाया । वोगल के लिए यह पहला अवसर था जबकि पौधे ने उसी चिन्तन का ग्राफ दुबारा उसी तरह अंकित करवाया था। वोगल ने सोचा कि मात्र समय की ही देर है कि उन चार्ट-अंकनों की यदि संदेश के रूप में व्याख्या की जाय तो मानवीय विचार-पद्धति का वर्णन हो सकेगा। यह प्रमाणित हो जाने के बाद कि पौधा व्यक्ति या दूसरे पौधों के साथ संवाद स्थापित कर सकता है वोगल ने आगे के प्रयोग व्यक्ति समुदायों के बीच किये । जब वह शंकाशील मनोवैज्ञानिकों, चिकित्सकों और कम्प्यूटर कार्यकर्ताओं का अपने घर पर स्वागत कर रहा था तो वोगल ने उन्हें अपने सारे यंत्रादि उपकरणों को दिखाया क्योंकि उन्हें संदेह ही नहीं विश्वास भी था कि उन यंत्रों में कुछ छिपाया हुआ है । तब उसने उन्हें चक्राकार बैठा कर बातें करने को कहा ताकि वे देख सकें कि पौधा कौन-सी प्रतिक्रियाओं को ग्रहण करता है ? प्रायः एक घण्टे तक बातचीत करने पर भी पौधे ने कुछ विशेष अंकित नहीं करवाया। इसलिए वे सब इस नतीजे पर पहुंचे कि ये सब कपोल कल्पित चीजें हैं । इतने में ही उनमें से एक ने कहा “सेक्स के बारे में क्या ? उनके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा कि पौधा सजीव हो उठा और सुई त्वरित गति से हिलने लगी। इससे ऐसा अन्दाज लगा कि सेक्स संबंधी वार्तालाप से वातावरण में किसी किस्म की सेक्स ऊर्जा का प्रादुर्भाव होता है जैसे कि 'ओरगॉन' जिसकी खोज और वर्णन डा० विल्हम रीच ने किया है और यह भी बताया है कि पुरानी गर्भाधान विधियों (Ancient fertility rites) खण्ड ४, अंक २ १५३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524515
Book TitleTulsi Prajna 1978 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Rampuriya, Nathmal Tatia, Dayanand Bhargav
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1978
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size3 MB
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